Madhya Pradesh

संघ का लक्ष्य सत्ता प्राप्ति नहीं, चरित्र निर्माण है : प्रांत कार्यवाह हेमंत सेठिया

सत्ता प्राप्ति नही चरित्र निर्माण है-प्रांत कार्यवाह हेमंत सेठिया

राजगढ़, 5 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । संघ का उद्देश्य सत्ता प्राप्त करना नहीं, बल्कि चरित्रवान व्यक्ति का निर्माण कर राष्ट्र का उत्थान करना है, व्यक्ति जब राष्ट्र के प्रति समर्पित और नीति-निष्ठ होता है तभी देश का संचालन सशक्त रुप से हो सकता है। यह वक्तव्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर मध्‍य प्रदेश के राजगढ़ जिले के ब्यावरा नगर में रविवार को निकाले गए पथ संचलन के बाद क्लब ग्राउंड पर आयोजित कार्यक्रम में संघ के प्रांत कार्यवाह हेमंत सेठिया ने दिए। उन्होंने कहा कि संघ की सौ वर्षों की यात्रा तप, त्याग और साधना की यात्रा है। अनेक दमन, उपहास और प्रतिबंधों के बावजूद संघ का स्वयंसेवक न कभी डरा, न रुका और न थमा। उन्होंने कहा कि जब तक व्यक्ति देशभक्त और चरित्रवान नहीं होगा, तब तक राष्ट्र सशक्त नही हो सकता।

सेठिया ने कहा कि इस वर्ष गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान के 350 वर्ष पूर्ण हो रहे है, गुरु परंपरा ने समाज को सदैव एक दिशा दी है। इतिहास के संदर्भ में उन्होंने कहा कि 1857 की क्रांति असफल हुई पर सावरकर से लेकर सुभाषचंद्र बोस तक क्रांति की श्रंखला जारी रही, हमारी कमजोरी यह रही कि हम अपने वेद-पुराण आधारित मूल संस्कारों को भूल गए। संघ ने समाज को उसके मूल स्वरुप और सनातन जीवनदृष्टि की ओर लौटाने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि डाॅ. हेडगेवार ने 1925 में जब एक कमरे में संघ की स्थापना की तब यह विचार किया कि आजादी के बाद देश एकजुट कैसे रहेगा। महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगाया गया, हजारों स्वयंसेवकों को जेल में डाला गया, किंतु संघ कुंदन बनकर निकला। उन्होंने कहा कि संघ का कार्य सात्विक प्रेम और सामाजिक समरसता पर आधारित है। आज समाज संघ के साथ कदमताल कर रहा है। हिन्दू एक नहीं हो सकते है, यह मिथक संघ ने तोड़ा है। मत अलग हो सकते है, लेकिन मन में भेद नहीं होना चाहिए, यही संघ की भावना है।

प्रांत कार्यवाह सेठिया ने कहा कि संघ के शताब्दी वर्ष में समाज में पांच प्रमुख परिवर्तन लाने का लक्ष्य है, जिनमें स्व का बोध और स्वाभिमान जागरण, सामाजिक समरसता का विस्तार, स्वदेशी जीवनशैली का प्रचार, पर्यावरण एवं प्रकृति संरक्षण और नागरिक कर्तव्य बोध का प्रचार। उन्होंने कहा कि भारत मांगने वालों का नहीं, बल्कि दानदाताओं का देश है। हर नागरिक को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए समाज के प्रति जवाबदेही निभानी होगी। उन्होंने कहा कि यह समय अनुकूल है, जिस क्षितिज को प्राप्त करने के लिए संघ चला था, वह अब सामने है। चरैवेति चरैवेति की भावना से समाज को आत्मगौरव और परम वैभव के मार्ग पर आगे बढ़ाना ही संघ की दिशा है।

नगर में आयोजित पथ संचलन में आठ बस्तियों के स्वयंसेवक अनुशासित पंक्तियों में हिस्सा लेकर पीपल चैराहा पर एकत्रित हुए, जहां से सामूहिक संचलन प्रारंभ हुआ, जिसमें स्वयंसेवक कदमताल करते हुए क्लब ग्राउंड पहुंचे, जहां मुख्य उद्बोधन हुआ। नगर में निकाले गए पथ संचलन का जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। इस अवसर पर पूरा नगर राष्ट्रभक्ति और संगठन की भावना से ओतप्रोत नजर आया। कार्यक्रम के दौरान नगर में स्वयंसेवकों के कदमताल, अनुशासन और उत्साह ने माहौल को देशभक्ति से सराबोर कर दिया।

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(Udaipur Kiran) / मनोज पाठक

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