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हिमाचल में राशन कार्ड उपभोक्ताओं की 97 फीसदी ई-केवाईसी पूरी

शिमला, 5 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । हिमाचल प्रदेश सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को अधिक पारदर्शी और दक्ष बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। तकनीक के उपयोग से अब राज्य में ई-केवाईसी प्रक्रिया के माध्यम से पीडीएस को पूरी तरह आधुनिक बनाया गया है। मार्च, 2025 तक प्रदेश के 97 फीसदी लाभार्थियों की ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।

एक सरकारी प्रवक्ता ने ये जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने मई, 2022 में ई-केवाईसी प्रक्रिया की शुरुआत की थी। इसके तहत लाभार्थियों के आधार कार्ड को राशन कार्ड से जोड़ा गया। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि सरकारी योजनाओं का लाभ केवल पात्र लोगों को ही मिले और फर्जी या अपात्र लाभार्थियों को सिस्टम से बाहर किया जा सके। शुरूआत में मई, 2022 से जनवरी, 2023 तक करीब 60 फीसदी लाभार्थियों ने उचित मूल्य की दुकानों पर ई-केवाईसी करवाई थी।

प्रवक्ता ने कहा कि जुलाई, 2023 में प्रदेश के तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने स्वयं का ई-केवाईसी एप्लिकेशन विकसित किया। इस ऐप के माध्यम से लाभार्थियों को उचित मूल्य की दुकानों पर फिंगरप्रिंट के जरिए पहचान सत्यापन कर ई-केवाईसी पूरी करने में आसानी हुई। इस तकनीकी सुधार से जुलाई, 2024 तक ई-केवाईसी की दर बढ़कर 77 फीसदी पहुंच गई।

हालांकि, दुर्गम और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचने में कठिनाई और फिंगरप्रिंट मिलान की समस्या का सामना करना पड़ा। इन चुनौतियों को देखते हुए सरकार ने मोबाइल ऐप के माध्यम से चेहरे की पहचान (फेशियल रिकग्निशन) द्वारा ई-केवाईसी करने की नई सुविधा शुरू की। इस कदम से दुर्गम क्षेत्रों के लोगों को अब दुकानों तक आने की जरूरत नहीं रही और वे अपने मोबाइल के माध्यम से ही घर बैठे ई-केवाईसी कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि इस तकनीकी सुविधा के चलते जुलाई, 2024 में जहां ई-केवाईसी दर 77 फीसदी थी, वहीं मार्च, 2025 तक यह बढ़कर 97 फीसदी तक पहुंच गई। आधार आधारित सत्यापन ने पीडीएस प्रणाली को पूरी तरह रूपांतरित कर दिया है। इससे पात्र परिवारों की पहचान हुई, डुप्लीकेट राशन कार्ड खत्म हुए और पूरी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी तथा जवाबदेह बनी।

वहीं, मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि तकनीक के प्रभावी उपयोग से सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि हर संसाधन का अधिकतम उपयोग हो और सब्सिडी व अन्य योजनाओं का लाभ केवल पात्र परिवारों तक ही पहुंचे। ई-केवाईसी और चेहरे से सत्यापन की सफलता इस बात का प्रमाण है कि हिमाचल प्रदेश डिजिटल शासन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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