

देवरिया, 05 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । संघ के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में आज दीनदयाल बस्ती का पथ संचलन कार्यक्रम संत विनोबा डिग्री कॉलेज के ऑडिटोरियम हॉल में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता अनिल त्रिपाठी ने किया ।
मुख्य वक्ता अनिल क्षेत्र प्रचारक ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे व्रत और त्योहार हिंदू संस्कृति और सनातन परम्पराओं को जीवंत रखते हैं। सामाजिक एकता के संवर्धन में सहायक महर्षि अरविंद घोष ने कहा था कि अगर सनातन बचा रहा, भारत बचा रहेगा और सनातन छिन्न भिन्न हो गया तो भारत भी छिन्न-भिन्न हो जाएगा।
मुख्य वक्ता अनिल ने कहा कि इस संघ शताब्दी वर्ष में प्रत्येक स्वयंसेवक को यह संकल्प लेना होगा कि हम इस शताब्दी वर्ष में प्रतिदिन अधिक से अधिक समय संघ कार्य के लिए दें।
वाराणसी के रामनगर की रामलीला विश्व प्रसिद्ध रामलीला है। जहां आज भी राम लीला अपने परम्परागत रूप में होती है। बिना माईक के बिना बिजली के और लोग बारिश में खड़े होकर भी रामलीला का मंचन देखते हैं। हमें अपने धरोहर को संजोकर रखना होगा। इंडोनेशिया सबसे बड़ा मुस्लिम देश है। वहां रामलीला का मंचन वहां के स्थानीय लोग मुस्लिम समाज द्वारा किया जाता है। संघ की 100 वर्षों की यात्रा आज भी निरन्तर जारी है। 1925 वर्ष के सितम्बर माह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गठन हुआ और 1925 में ही दिसम्बर माह में कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया का गठन हुआ।
उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि दो अलग-अलग विचारधारा को मानने वाले संगठन की स्थापना एक ही वर्ष में हुई। किन्तु वह संगठन कहां खड़ा है और आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कहां खड़ा है।
दोनों का अन्तर आज समाज के सामने है और समाज देख रहा है। पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में संघ के स्वयंसेवक अपने कार्य को विषम और विकट परिस्थितियों में करते हैं। यूनान, मिस्र और रोम की प्राचीन समृद्ध सभ्यता विलुप्त हो गई। किन्तु हमारे त्यौहार और हमारी परम्पराएं भारत को बचाएं रखी। संघ की 100 वर्ष की यात्रा आप स्वयंसेवको के बल पर ही सम्भव हुई।
पथ संचलन नेहरू नगर, शहीद भगत सिंह चौक, गुरूद्वारा, साकेत नगर, चकिया मोड़ होते हुए पुन सन्त विनोबा डिग्री कॉलेज पर आकर समाप्त हुआ। इस अवसर पर विभाग प्रचारक दीपक, जिला प्रचारक आकाश, जिला संघचालक मकसूदन, कार्यक्रम संयोजक अवनीन्द्र,विकास, दीपक, सतीश, राजेन्द्र आदि स्वयंसेवक उपस्थित रहे, समाज के बन्धुओं और मातृ शक्ति की भी उपस्थिति रही।
(Udaipur Kiran) / ज्योति पाठक
