
जयपुर, 4 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । डायरी लेखन जीवन की विसंगतियों को जीने का नाम है। डायरी व्यथा की कथा है, पर इसको लिखने से मन को शांति मिलती है। यह बात डॉ राजेश कुमार व्यास ने आखर में डॉ जितेंद्र कुमार सोनी से बातचीत में कही। इस अवसर पर यशवंत व्यास के साथ विशिष्ट अतिथियों ने पुस्तक कथूं-अकथ का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर डॉ जितेंद्र कुमार सोनी ने डॉ राजेश कुमार व्यास से राजस्थानी भाषा संस्कृति और लेखन से जुड़े विभिन्न पक्षों पर बातचीत की। अपने लेखन के बारे में उन्होंने कहा कि हम जितना पढ़ते हैं, जितना अधिक लोगों से मिलते हैं और घूमते हैं उससे पता चलता है कि हमें बहुत कम ज्ञान है और यही चुनौती लेखन के समक्ष आती है। यही बात डायरी लेखन के समय होती है इसमें जीवन के कई प्रसंग आते हैं तो अचानक जीवन में कुछ कौंधता है। इसमें कई बार यात्रा वृत्तांत शामिल होते हैं तो सभी विधाओं का सार भी डायरी लेखन में आ जाता है। राजस्थानी भाषा के भविष्य से जुड़े सवाल पर डॉ व्यास ने कहा कि संवैधानिक मान्यता नहीं मिलना और रोजगार से जुड़ी हुई नहीं होने के कारण कई चुनौतियां तो है। राजस्थानी लेखक लगातार लिख रहे हैं और अपने साहित्य को आगे बढ़ा रहे हैं। अंग्रेजी इस समय इसलिए आगे है कि वह रोजगार से जुड़ी हुई है।
उनके यात्रा संस्मरण ‘नर्मदे हर’ की प्रसिद्धि के बारे में डॉ राजेश व्यास ने कहा कि जीवन में कई बार गठित घटित होता है छत्तीसगढ़ में खैरागढ़ जगह जाने के दौरान अमरकंटक जगह पड़ती है। वहां से नर्मदा का उद्गम होता है वहीं पर साधुओं की ओर से बार-बार नर्मदे हर का उच्चारण सुना तो नर्मदा की परिक्रमा के बारे में पुस्तक का नाम ‘नर्मदे हर’ ही लिखना तय किया। नर्मदा एक ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है।
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(Udaipur Kiran)
