Uttar Pradesh

वाराणसी में जलवायु-स्मार्ट धान प्रणाली पर वैश्विक समागम, शामिल होंगे सीएम योगी

मुख्यमंत्री

—मंगलवार से शुरूआत, 300 प्रतिभागी शामिल होंगे, राज्य में 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में डीएसआर अपनाने पर होगा मंथन

वाराणसी, 04 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (इरी) ने अपने दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) में जलवायु-स्मार्ट धान प्रणाली पर वैश्विक समागम का आयोजन मंगलवार से किया है। तीन दिवसीय वैश्विक समागम (डीएसआर)में छह अक्टूबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा देश-विदेश से 300 से अधिक प्रतिभागी शामिल होंगे। नीति-निर्माताओं, वैज्ञानिकों, निजी क्षेत्र के नेताओं, गैर-सरकारी संगठनों और किसान प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ यह सम्मेलन धान उत्पादन में पानी, श्रम और लागत बचाने वाले “डायरेक्ट सीडेड राइस” को व्यापक स्तर पर अपनाने की रणनीति पर केंद्रित होगा।

आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह के अनुसार कार्यक्रम में 06 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की 150वीं वर्षगांठ को समर्पित एक विशेष सत्र प्रमुख आकर्षण होगा। इस सत्र में राज्य के कृषि नेतृत्व की ऐतिहासिक भूमिका एवं वर्ष 2030 तक उत्तर प्रदेश को “वैश्विक खाद्य भंडार” बनाने की दृष्टि पर चर्चा की जाएगी। सम्मेलन में राज्य में 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में डीएसआर अपनाने, धान आधारित प्रणालियों की उत्पादकता में 30 फीसद वृद्धि और जलवायु एवं खाद्य सुरक्षा लक्ष्यों की पूर्ति पर विमर्श होगा। उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सबसे अधिक प्रभावित है। ऐसे में डीएसआर तकनीक किसानों के लिए एक प्रभावी विकल्प बनकर उभरी है, जो पारम्परिक रोपाई पद्धति की तुलना में पानी, श्रम और लागत की बचत करती है, उत्पादन बढ़ाती है और मीथेन गैस उत्सर्जन को कम करती है। डायरेक्ट सीडेड राइस कंसोर्टियम के पिछले सात वर्षों के अनुसंधान और अनुभव पर आधारित यह सम्मेलन वैज्ञानिक, नीतिगत और साझेदारी स्तर पर बड़े पैमाने पर अपनाने की दिशा तय करेगा।

इरी की महानिदेशक डॉ. इवोन पिंटो के अनुसार डायरेक्ट सीडेड राइस ने पहले ही उत्पादन, जल उपयोग और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में ठोस प्रभाव दिखाया है। अब चुनौती इसे पायलट स्तर से लाखों हेक्टेयर तक विस्तार देने की है, जिसके लिए विज्ञान, नीतिगत सहयोग और साझेदारी जरूरी है। इरी के शोध निदेशक और डीएसआर कंसोर्टियम समन्वयक डॉ. वीरेंद्र कुमार के अनुसार पिछले एक दशक में हमारे अनुसंधान ने डीएसआर की एग्रोनॉमी, मशीनीकरण, किस्मों की उपयुक्तता और संसाधन उपयोग दक्षता पर ठोस प्रमाण दिए हैं। डीएसआर कंसोर्टियम का तीसरा चरण इन प्रमाणों को कार्यान्वयन में बदलने पर केंद्रित है। यह कॉन्क्लेव सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के साथ किसानों को एक साझा दृष्टिकोण पर जोड़ने का अवसर देगा।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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