

हरदा, 4 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । मध्य प्रदेश के हरदा जिले के आदिवासी छात्रावास 21 और अनुसूचित जाति छात्रावास 21 प्रकार कुल 42 छात्रावास संचालित है। जहां एक और अधीक्षकों पर रिक्त होने से शिक्षकों का प्रभार देकर छात्रावासों का संचालन करवाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर कार्यालय अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग हरदा विभाग में भी डाटा एंट्री आपरेटर सहायक ग्रेड 2 एक पद, सहायक ग्रेड 3 के एक पद और दो अन्य पद खाली पड़े हैं। काम का बहुत बोझ अधिक होने से अवकाश के दिनों में आकर काम करना पड़ता है।
त्योहार पर भी नहीं मिला मानदेय :
कार्यालय के स्टाफ को जहां अभी पिछले माह का मानदेय मिला है। वही छात्रावास में मजदूरी कर रहे कर्मचारियों को पिछले तीन माह से मानदेय नहीं मिल पाया है। रक्षाबंधन, दशहरा जैसे प्रमुख त्योहार बिना वेतन के बीत गये अब एक पखवाड़ा बाद दीपावली का त्यौहार है। किराना, दूध व अन्य स्थानों से कार्य लेकर काम चलाने वाले कर्मचारी आर्थिक तंगी झेल रहे हैं। जहां एक और 5 हजार मानदेय के रूप में इस महंगाई के दौर में दिया जाता है, इसके बाद भी मानदेय समय पर नहीं दिया जाता है। जिसके कारण मजदूरी और बेरोजगारी के कारण छात्रावास में काम कर रहे हैं।
रिक्त पद के कारण कामकाज प्रभावित :
कार्यालय के साथ-साथ छात्रावास में अधीक्षकों सहित अन्य स्वीकृत पद वर्षों से रिक्त है। कम पैसे में कर्मचारियों को रखकर कामकाज करवाया जा रहा है। फिर भी कामकाज को सुचारू रूप से समय पर नहीं हो पता है। जिसके कारण तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके बाद भी रिक्त पद नहीं भरे जा रहे हैं। कार्यालय में भी स्टाफ की भारी कमी है। छात्रावासों को शिक्षकों से चलाया जा रहा है। विभाग के अधीक्षक की तुलना में उनके अनुभव की कमी है। चलती का नाम गाड़ी की तर्ज पर छात्रावास तो चला रहे हैं किंतु उचित देखवाल जिम्मेदारी सहित अन्य दायित्वों के निर्वहन में भी कहीं ना कहीं कमी रहती है जिसके कारण छात्रावास के संचालन में तमाम दिक्कतें सामने आती है ।
दीपावली पर्व पर क्या मिल पायेगा मानदेय : 3 माह से अधिक समय से छात्रावास में काम कर रहे कर्मचारियों को क्या दीपावली पर मानदेय मिल पायेगा इसको लेकर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है। जिम्मेदार जवाबदेह अधिकारी मानदेय की फाइल को समय सीमा में क्यों नहीं निपटाते। यह एक जांच का विषय बन गया है। कहीं ना कहीं लापरवाही अवश्य बरती जा रही है। दीपावली त्यौहार पर मानदेय मिल पायेगा या नहीं इसको लेकर संशय की स्थिति है। नियमित कर्मचारियों को भी अभी अगस्त माह का मानदेय मिल पाया है, जबकि शासन का आदेश है कि कर्मचारियों को एक तारीख तक मानदेय मिल जाना चाहिए।
नौकरी से निकालने का भय : छात्रावासों में बिना मानदेय मंडे के पिछले 3 महीनों से काम कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि अपना हक अधिकार मांगेने में तो कहीं अधिकारी कोई ना कोई कमी बताकर नौकरी से ना निकाल दे। महंगाई के इस दौर में 5000 का मानदेय दिया जा रहा है। वह भी समय पर नहीं दिया जाता है। आर्थिक तंगी को किसी प्रकार से झेल रहे हैं। छात्रावासों में भोजन बनाने सहित अन्य काम करने वाली ज्यादातर महिलाएं हैं। उन्हें बिना मानदेय के मजबूरी में काम करना पड़ रहा है। जिसे कोई देखने व सुनने वाला नहीं है। व्यक्तिगत कोई मांग ले तो उसे खोटी सुनाई जाती है।
इस संबंध में हरदा जिला कलेक्टर,सिद्धार्थ जैन का कहना है कि छात्रावास में काम करने वाले महिला कर्मचारियों को 3 माह से मानदेय नहीं मिलने के मामले की जांच पड़ताल कराकर मानदेय भुगतान की कार्यवाही करने के साथ-साथ भुगतान न होने के कारणों का पता लगाकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।
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(Udaipur Kiran) / Pramod Somani
