
धर्मशाला, 03 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । पूर्व उद्योग मंत्री व भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र से मिली राहत के बावजूद प्रदेश में आज जनता महंगाई और कुशासन की मार झेल रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवरात्रि के अवसर पर सीमेंट पर जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया, जिससे सीमेंट का हर बैग करीब 40 सस्ता होना था। यह राहत आपदा प्रभावित प्रदेश और गरीब-मध्यम वर्ग के लिए बड़ी सौगात थी, लेकिन प्रदेश की सुक्खू सरकार ने यह राहत जनता तक पंहुचने ही नहीं दी।
शुक्रवार को जारी एक प्रेस बयान में बिक्रम ठाकुर ने कहा कि केंद्र से राहत मिलने के तुरंत बाद सुक्खू सरकार ने प्रदेश में एडिशनल गुड्स टैक्स को बढ़ाकर 16 प्रति बैग कर दिया गया, जबकि भाजपा सरकार के समय यह केवल 7.50 रुपये था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आपदा के समय इसे 11 रुपये तक बढ़ाया था और अब मोदी सरकार की राहत मिलते ही तुरंत इसे और बढ़ा दिया गया है। उन्होंने कहा यह कदम सीधे-सीधे जनता की जेब पर डाका डालने जैसा है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि जनता पर टैक्स का बोझ डालने के साथ-साथ प्रदेश सरकार की फिजूलखर्ची भी किसी से छिपी नहीं है। उन्होंने कहा कि विधायक मित्रों को खुश करने के लिए उन्हें विदेश दौरों पर भेजा जा रहा है। आपदा के समय चेयरमैन पदों की बरसात की जा रही है और सत्ता के करीबियों को हर तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जनता कर चुकाए और मुख्यमंत्री अपने मित्रों को विदेश भ्रमण पर भेजे, यह अन्याय नहीं तो क्या है?
बिक्रम ठाकुर ने कहा कि एचआरटीसी के पेंशनभोगियों को महीनों तक पेंशन नहीं मिल रही, जिससे बुजुर्ग परेशान हैं। वहीं पर्यटन निगम के कर्मचारियों को वेतन गत 26 सितंबर को भी भाजपा के दबाव के बाद दिया गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री केवल मीडिया में बड़ी-बड़ी बातें करके सुर्खियां बटोरना चाहते हैं, जबकि जमीनी स्तर पर कर्मचारी और आम लोग परेशानियों से जूझ रहे हैं।
बिक्रम ठाकुर ने कहा कि आज हर परिवार महंगाई से त्रस्त है। जेबें खाली हैं और लोग अपने त्योहार तक मनाने में असमर्थ हैं। प्रदेश में पहली बार ऐसी सरकार आई है जिसने जनता को त्यौहारों पर भी बोझ के सिवा कुछ नहीं दिया।
बिक्रम ठाकुर ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र जसवां- परागपुर क्षेत्र में एचआरटीसी के अधिकांश रूट बंद या प्रभावित हैं, जिससे छात्रों, कर्मचारियों और आम जनता को भारी कठिनाई झेलनी पड़ रही है। इस विषय पर न तो अधिकारी और न ही बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स कोई जिम्मेदारी ले रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सात दिन के भीतर इन रूटों को बहाल नहीं किया गया तो वह स्वयं कार्यकर्ताओं के साथ आरएम कार्यालय का घेराव करेंगे और इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया
