

मुंबई,3 अक्टूबर ( हि.स) । इस वर्ष नवरात्रि के दौरान देवी सहित सभी धार्मिक उत्सवों के विसर्जन को पर्यावरण के अनुकूल बनाना ज़रूरी है, लेकिन इस साल ठाणे पूर्व चेंदानी कोलीवाड़ा बंदर घाट पर 550 मूर्तियों, जिनमें 46 घरेलू मूर्तियाँ और 35 सार्वजनिक मूर्तियाँ शामिल हैं, का सीधे खाड़ी में विसर्जन किया गया। पर्यावरणविद डॉ प्रशांत ने आज कहा कि फूलों और पूजा साहित्य के साथ-साथ, खाड़ी गंभीर प्रदूषण के खतरे में है। लेकिन ठाणे के नागरिकों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पर्यावरण मंत्री पंकजा मुंडे इस मामले पर ध्यान देंगे।
गणेशोत्सव के दौरान, ठाणे नगर निगम ने कृत्रिम झीलें, लोहे के टैंक और पर्यावरण के अनुकूल सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए थे, लेकिन देवी के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं देखी गई। इस असमानता ने नागरिकों में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है।
पर्यावरणविद् डॉ. प्रशांत सिनकर कहते हैं, यह मुद्दा केवल विसर्जन का नहीं, बल्कि न्याय की समानता का है। अगर गणपति के लिए सुविधाएँ हैं, तो देवी के लिए क्यों नहीं? पर्यावरण संरक्षण सिर्फ़ एक उत्सव तक ही सीमित क्यों रहे?
डॉ. सिनकर ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पर्यावरण मंत्री पंकजा मुंडे को एक ज्ञापन भेजकर ठाणे नगर निगम को सभी त्योहारों के लिए समान पर्यावरण-अनुकूल उपाय करने का आदेश देने की मांग की है और भविष्य में इस तरह के कुप्रबंधन पर अंकुश लगाने का अनुरोध किया है।
ठाणे के नागरिक अब प्रदूषण और असमानता के बढ़ते खतरे के प्रति संवेदनशील हो रहे हैं। डॉ. सिनकर चेतावनी देते हैं: हमारी खाड़ियाँ और नदियाँ केवल विसर्जन के लिए नहीं हैं, वे हमारे पर्यावरण की जीवनदायिनी हैं। अगर अभी उपाय नहीं किए गए, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बड़ा संकट पैदा हो जाएगा। संपर्क करने पर, नगर पालिका के प्रदूषण नियंत्रण प्रकोष्ठ ने बताया कि ठाणे में कुछ स्थानों पर विसर्जन के लिए कृत्रिम झीलें और लोहे के टैंक बनाए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय और राज्य सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार, ठाणे नगर निगम में 2025-26 सत्र के दौरान गणेश प्रतिमाओं/देवी प्रतिमाओं/छत्रपूजा के विसर्जन हेतु कृत्रिम तालाबों और एम.एस. टैंकों आदि की व्यवस्था के लिए कुल 2.6 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा
