
रांची, 3 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । झारखंड आंदोलनकारी नेता सह पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि संविधान में हर समस्या का समाधान है। इसलिए झारखंडवासियों से विनती करता हूं कि सामाजिक समरसता और भाईचारा बनाए रखें। और यही झारखंड की असली पहचान है जो सामाजिक समरसता, आपसी भाईचारा और झारखंडी एकता में निहित है।
उन्होंने शुक्रवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि झारखंड में हिन्दू, मुस्लिम, सरना, सिख और ईसाई सभी भाई–भाई हैं। उसी प्रकार आदिवासी और मूलवासी की एकता ही झारखंडी अस्मिता की प्रतीक है।
अखंड झारखंड का संबंध सर्वधर्म समभाव से है, जो संविधान के अनुच्छेद 25 में निहित है। अधिकांश आदिवासी सरना धर्म के अनुयायी और प्रकृति पूजक हैं। हम वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को मानने वाले हैं।
बेसरा ने कहा कि भाषा, संस्कृति और सामाजिक परंपरा के आधार पर ही हमारी जातीय पहचान झारखंडी है, जबकि खतियान के आधार पर मूलवासी की पहचान तय होती है। उन्होंने कहा कि हमारी एकता सदियों से कायम है और यह एकता हिमालय पर्वत की तरह अटूट है।
उन्होंने झारखंड आंदोलन की पृष्ठभूमि को याद करते हुए कहा कि पांच दशक लंबे संघर्ष और व्यापक एकता के परिणामस्वरूप अलग झारखंड राज्य का गठन हुआ। लेकिन असली मुद्दे आज भी अधर में हैं। नेतृत्व की कमी के कारण झारखंड आंदोलन भटक गया है। झारखंडियों को भाईचारे को तोड़कर आपस में लड़ाने की साजिशें हो रही हैं, जो राज्य की एकता के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि राज्य गठन होने को 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं, इस दौरान छह बार विधानसभा चुनाव हुए, तीन बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। और 13 बार सरकार बदली। लेकिन न तो झारखंड की तस्वीर बदली और न ही झारखंडियों की तकदीर।
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar
