West Bengal

एसआईआर से पहले दो हजार बीएलओ को हटाएगा चुनाव आयोग, नियमों की हुई है अनदेखी

चुनाव अधिकारी

कोलकाता, 03 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग के निर्देशों की अनदेखी करने के मामले में बड़ा कदम उठाया जा सकता है। राज्य के अलग-अलग जिलों के करीब दो हजार बूथों में तैनात बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) को जल्द ही बदला जा सकता है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक, संबंधित जिलों के जिला अधिकारी, जो जिला निर्वाचन अधिकारी भी होते हैं, से इन गड़बड़ियों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। जैसे ही रिपोर्ट प्राप्त होगी, चुनाव आयोग की तय गाइडलाइन के आधार पर बीएलओ की नियुक्तियों को बदला जाएगा। सीईओ कार्यालय ने साफ किया है कि यह पूरी प्रक्रिया विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) शुरू होने से पहले पूरी कर ली जाएगी।

चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, बीएलओ नियुक्ति का एक समान पैटर्न पूरे देश में लागू होता है। सबसे पहले स्थायी सरकारी कर्मचारी, जो ग्रुप-सी या उससे ऊपर के वर्ग में आते हैं, और राज्य संचालित स्कूलों के शिक्षक इस नियुक्ति के लिए प्राथमिकता में होते हैं। अगर पर्याप्त संख्या में ऐसे कर्मचारी या शिक्षक उपलब्ध नहीं होते, तभी संविदा कर्मियों को बीएलओ बनाने की अनुमति है। इसके अलावा, संविदा कर्मियों की हर नियुक्ति को जिला स्तर से उचित ठहराना होता है और उस पर सीईओ कार्यालय की सहमति लेना अनिवार्य है।

सीईओ कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि हाल में करीब दो बजार बूथों में संविदा कर्मियों को बीएलओ बना दिया गया, जबकि स्थायी सरकारी कर्मचारी और स्कूलों के शिक्षक उपलब्ध थे। सबसे बड़ी बात यह है कि इन नियुक्तियों के लिए सीईओ कार्यालय से अनुमति भी नहीं ली गई।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने हाल ही में राज्य शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर शिकायत की थी कि कई शिक्षक स्पष्ट निर्देश और अदालत के आदेश के बावजूद बीएलओ की ड्यूटी लेने से बच रहे हैं। सीईओ कार्यालय ने ऐसे शिक्षकों को चेतावनी दी है कि यदि वे तय समयसीमा में जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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