देहरादून, 2 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष समारोह का विधिवत शुभारंभ विजयदशमी के पावन अवसर पर महानगर दक्षिण स्थित महाराणा प्रताप नगर की चंद्रमणि बस्ती में हुआ। इस अवसर पर 130 स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश मे योग, व्यायाम और अनुशासन का अनुकरणीय प्रदर्शन किया। मातृशक्ति, युवा वर्ग और स्थानीय नागरिकों की उल्लेखनीय भागीदारी ने आयोजन को जन-उत्सव का स्वरूप दिया।
समारोह में मुख्य वक्ता उत्तराखंड प्रांत प्रचारक डॉ. शैलेंद्र ने कहा कि विजयदशमी का पर्व केवल श्रीराम की रावण पर विजय का स्मरण मात्र नहीं, बल्कि सत्य और धर्म की विजय का प्रतीक है। उन्होंने संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार की दूरदृष्टि का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय हिंदू समाज जाति, भाषा और प्रांतों के भेद में बंटकर दुर्बल हो रहा था। ऐसे समय में संघ की स्थापना कर समाज को संगठन, आत्मबल और आत्म स्वाभिमान से जोड़ा गया। प्रांत प्रचारक डॉ. शैलेंद्र ने कहा कि संगठित समाज ही अधर्म, अन्याय और अराजकता फैलाने वाली शक्तियों पर विजय प्राप्त कर सकता है। मां दुर्गा की महिषासुर वध की कथा यह संदेश देती है, कि आत्मबल और संगठन से हर कठिनाई का सामना संभव है।
उन्होंने संघ के सौ वर्षों की गौरवशाली यात्रा को सेवा, अनुशासन, स्वदेशी, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन और सामाजिक समरसता का प्रेरणास्रोत बताया। उन्होंने समाज को धर्मांतरण और विघटनकारी षड्यंत्रों से सचेत रहने का आह्वान किया और उपेक्षित और वंचित वर्गों की सेवा को सच्चे राष्ट्रधर्म की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि महापुरुषों के पदचिह्नों पर चलकर ही भारत माता को विश्वगुरु और शांति का प्रतीक बनाया जा सकता है। डॉ. शैलेंद्र ने युद्धकाल, आपदाओं और दुर्घटनाओं के दौरान संघ के सेवा कार्यों का उल्लेख किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. गोविंद सागर भारद्वाज, निदेशक, भारतीय वन्यजीव संस्थान ने की। शताब्दी वर्ष के इस आरंभिक आयोजन में स्वयंसेवकों का उत्साह और समाज की व्यापक भागीदारी ने यह संदेश दिया कि हिंदू समाज अपनी परंपरा, संस्कृति और संगठन शक्ति के बल पर भारत को सशक्त और विश्वगुरु बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
(Udaipur Kiran) / विनोद पोखरियाल
