
धर्मशाला, 02 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने हिमाचल मण्डी जन कल्याण सभा के 64वें वार्षिक सैर महोत्सव के अवसर पर वीरवार को नई दिल्ली के शाह ऑडिटोरियम में आयोजित सम्मान समारोह में भारत तिब्बत सीमा पुलिस के डीआईजी ऋषि राज सिंह को हिमाचल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। दिल्ली में हिमाचलियों को मार्गदर्शन और उत्थान के लिए यह पुरस्कार ऋषि राज सिंह को प्रदान किया गया।
इस मौके पर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पिछले दो सालों के दौरान आई प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए भविष्य में सरकार विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन कायम करेगी। उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों के दौरान राज्य में अथाह जान मॉल की क्षति हुई है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती।
उन्होंने महानगरों में बसे हिमाचलियों को पहाड़ी संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए बधाई दी और कहा कि राज्य सरकार ने हिमाचली बोलियों/भाषा को संरक्षित करने का यह फैसला किया है कि प्रत्येक स्कूल में प्रत्येक शनिवार को शिक्षक और छात्र आधा घंटा तक स्थानीय भाषा में ही बात करेंगे। उन्होंने कहा कि आधुनिकता और इंटरनेट की आंधी में दुनिया की आधी भाषाओं पर विलुप्ति होने का खतरा बढ़ गया है और राज्य सरकार इसके लिए सचेत है।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बताया कि भारत सरकार की नेशनल सैंपल सर्वे की वर्ष 2025 की रिपोर्ट में शिक्षा के क्षेत्र में राज्यों की रैंकिंग में हिमाचल तीसरे नम्बर पर आंका गया है जबकि पूर्ववती भाजपा सरकार में वर्ष 2021 में हिमाचल पिछड़ कर पूरे देश में 21वें स्थान पर खिसक गया था।
उन्होंने कहा कि आज हिमाचल में 132 कॉलेज, तीन विश्वविद्यालय और एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है जोकि मुख्यत कांग्रेस सरकार की देन है।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश के दिल्ली में बसे विभिन्न महानुभावों को उनके असाधारण कार्यों के लिए सम्मानित किया।
इससे पहले पूर्व स्वास्थ मंत्री ठाकुर कौल सिंह ने कहा कि कांग्रेस के शासन काल में महानगरों में बसे हिमाचलियों के बच्चों को राज्य के मैडिकल कॉलेजों और अन्य संस्थानों में हिमाचली मूल के बच्चों के बराबर प्राथमिकता की सुविधाएं शुरू की थी जोकि भाजपा सरकार ने खत्म कर दी।
इस मौके पर हिमाचल मण्डी जन कल्याण सभा के अध्यक्ष में सभा की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ी और लेखा जोखा प्रस्तुत किया। उन्होंने महानगरों में रहने वाले हिमाचली मूल के बच्चों को हिमाचल प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए वरीयता देने की मांग की। इस अवसर पर पहाड़ी संस्कृति पर आधारित रंगा रंग कार्यक्रम आयोजित किया गया और पहाड़ी धाम का भी आयोजन किया गया।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया
