

जींद, 2 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रोहतक विभाग बौद्धिक प्रमुख घनश्याम ने कहा कि विजयदशमी उत्सव दैवीय शक्तियों का आसुरी शक्तियों पर न्याय का अन्याय पर विजय स्वरूप मनाये जाने वाला उत्सव है। इसी के साथ नौ दिन तक देवी के विभिन्न रूपों की शक्तियों और गुणों की पूजा व साधना शुरु होती है। इस साधना और तप द्वारा अपने अंदर की शक्तियों और गुणों के विकास का सभी प्रयास करते हैं।
त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने रावण जैसे महापराक्रमी को परास्त कर धर्म राज्य की स्थापना की थी। उससे पहले शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा ने असुरों पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए यह पर्व नारी शक्ति की उपासना का भी प्रतीक है। संघ वर्षभर में कुल छह उत्सव मनाता है। उनमें से विजयदशमी उत्सव भी एक है। क्योंकि विजयदशमी संघ स्थापना का दिवस भी है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रोहतक विभाग बौद्धिक प्रमुख घनश्याम बतौर मुख्य वक्ता स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे। वह गुरुवार को शहर के सैक्टर 8 स्थित बड़ा पार्क में केशव शाखा में आयोजित विजयदशमी उत्सव को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर कार्यक्रम में शिक्षाविद रमेश चहल ने बतौर मुख्यअतिथि के तौर पर गुरूवार को शिरकत की। जींद जिला संघचालक तिलकराज भी विशेष तौर पर मौजूद रहे। कार्यक्रम के आरंभ में स्वयंसेवकों ने शस्त्र पूजन किया। इसके बाद शहर में पथ संचलन भी निकाला। मुख्य वक्ता घनश्याम ने कहा कि संयम और अनुशासन के बिना संगठन संभव नहीं है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने अनुशासन के लिए विख्यात है।
आज संघ के सौ वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इन 100 वर्षों की संघ की यात्रा के तीन वैशिष्ट्य हैं। अनवरत है, अखंड है, निरंतर है। हमने मूल को नहीं छोड़ा, नई बातों को हम जोड़ते गए। 1925 से 1940 की पहली पीढ़ी ने सारे देश में संघ का बीजारोपण किया। 1975 से 2000 के दौर में संघ के राष्ट्रव्यापी कार्य में समाज सहयोगी हो गया। स्वयंसेवकों द्वारा देशभर में डा. हैडगेवार का शताब्दी वर्ष मनाया गया।
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(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा
