


—पथ संचलन के दौरान स्वयंसेवकों की एकता, अनुशासन और संस्कार से आज की नयी पीढ़ी भी रूबरू,पथ संचलन के दौरान स्वयंसेवकों पर पुष्पवर्षा
वाराणसी,02 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में गुरुवार को वाराणसी महानगर के प्रमुख मार्गों से संघ के स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में पथ संचलन निकाल कर अपने अनुशासित कदमताल से फिजाओं को गुंजायमान कर दिया। पथ संचलन के दौरान स्वयंसेवकों का पुष्पवर्षा के जरिए स्वागत किया गया। पथ संचलन के दौरान स्वयंसेवकों की एकता, अनुशासन और संस्कार से आज की नयी पीढ़ी भी रूबरू हुई। सड़कों पर यह नजारा राहगीरों में आकर्षण का केन्द्र बना रहा। शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में संघ के काशी मध्य भाग के प्रताप शाखा के स्वयंसेवकों ने लाजपत नगर से पूर्ण गणवेश में पथ संचलन निकाली। इसी तरह काशी दक्षिण के स्वयंसेवकों ने आईटीआई परिसर करौंदी, प्रेमचंद्र पार्क, ब्रिजएंक्लेव कॉलोनी सुंदरपुर, दीनदयाल उद्यान, कबीर नगर, दुर्गाकुंड से पथ संचलन निकाली। इसी क्रम में संघ के काशी की ऐतिहासिक धनधानेश्वर शाखा में भव्य विजयदशमी उत्सव सायं 4 बजे ब्रह्मा घाट स्थित दत्तात्रेय मंदिर प्रांगण में मनाया जाएगा। जिसमें पथ संचलन, शस्त्र पूजन, शारीरिक प्रदर्शन और बौद्धिक सत्र जैसे विविध आयाम शामिल होंगे। काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश उत्सव में प्रमुख वक्ता होंगे। बताते चले धनधानेश्वर शाखा उत्तर भारत की पहली शाखा मानी जाती है, जिसकी नींव स्वयं संघ के संस्थापक डा. केशव बलिराम हेडगेवार ने 13 मार्च 1931 को रखी थी। विश्व संवाद केंद्र, काशी के प्रभारी डॉ अम्बरीष राय ने बताया कि शताब्दी वर्ष का यह कार्यक्रम काशी प्रान्त के सभी मण्डलों एवं बस्तियों में सम्पन्न होगा। आज से संघ शताब्दी वर्ष के उद्घाटन होने के पश्चात पूरे एक वर्ष तक संघ द्वारा विभिन्न कार्यक्रम समाज के सहयोग से संचालित होंगे। आज से ठीक 100 वर्ष पहले सन् 1925 को विजयादशमी पर्व पर ही संकल्प, सेवा और समर्पण के एक यज्ञ की शुरुआत हुई थी। राष्ट्र के प्रति समर्पित इस यज्ञ में अनेकों तपस्वियों ने अपनी आहुति दी। जिसके परिणाम स्वरूप आज एक बहुत बड़ा वटवृक्ष विश्व के सामने तैयार है। इस वटवृक्ष का नाम है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। यह वटवृक्ष आज अपने 100 वर्ष पूरे कर चुका है और इसकी शाखाओं का विस्तार देश भर में हो चुका है।
—————
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
