नैनीताल, 1 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । नैनीताल जनपद में शिक्षा विभाग से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला उजागर हुआ है। हल्द्वानी निवासी सूचनाधिकार कार्यकर्ता हेमंत गौनिया ने जिले के आठों विकास ख्ंाडों से पिछले दस वर्षों में विद्यालयों में दूध, अंडों और मध्यान भोजन पर हुए व्यय का ब्यौरा मांगा था। इस पर अधिकांश थ्वकास खडों ने यह सूचना निःशुल्क अथवा सामान्य शुल्क लेकर उपलब्ध करा दी, लेकिन रामगढ़ विकास खंड के उप शिक्षाधिकारी कार्यालय ने इसी सूचना को देने के लिए एक लाख अट्ठाइस हजार सोलह रुपये शुल्क की मांग कर दी।
आरटीआई कार्यकर्ता के अनुसार ओखलकांडा विकास ख्ंाड के ककोडगाजा राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ने सूचना देने के लिए 2000 रुपये, हल्द्वानी विकास ख्ंाड के राजकीय इंटर कॉलेज लालकुआं ने 1680 रुपये, भीमताल के राजकीय इंटर कॉलेज पटगांव ने 1686 रुपये, राजकीय इंटर कॉलेज ओखलकांडा ने 1240 रुपये तथा राजकीय इंटर कॉलेज पदमपुर मिडार ने 2000 रुपये का शुल्क मांगा, जिसे उन्होंने जमा कर दिया। वहीं राजकीय इंटर कॉलेज गहना ने तीन पत्रों में और राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय देवपुरा कोटाबाग ने छह पत्रों में सूचना निःशुल्क उपलब्ध कराई।
हेमंत गौनिया का कहना है कि जब अधिकांश विद्यालय और विकास ख्ंाड वही सूचना निःशुल्क या सामान्य शुल्क पर उपलब्ध करा रहे हैं, तो रामगढ़ विकास ख्ंाड के उप शिक्षाधिकारी कार्यालय द्वारा लाखों रुपये की मांग संदेह पैदा करती है। उनका आरोप है कि यहां मध्यान भोजन, दूध और अंडों से जुड़े रजिस्टर नियमित रूप से भरे ही नहीं जाते। इसी कारण सूचना उपलब्ध न कराने के लिए अत्यधिक फीस थोप दी गई है। यह मामला शिक्षा विभाग की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है। कार्यकर्ता का कहना है कि यदि सभी अभिलेख ठीक से संधारित होते तो सूचना देने में इतनी कठिनाई या भारी शुल्क की आवश्यकता नहीं पड़ती।
अब निगाहें विभाग पर हैं कि वह इस मुद्दे पर क्या कार्रवाई करता है और क्या पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाता है।
(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी
