
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । विश्व अनुवाद दिवस पर साहित्य अकादेमी ने बुधवार को कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अनुवाद विषय पर ‘साहित्य मंच’ कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ अनुवादक सुभाष नीरव ने की, जिसमें भावना सक्सेना, निशात जैदी और योगेश अवस्थी ने अपने विचार साझा किए।
राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय से आईं भावना सक्सेना ने मंत्रालय द्वारा विकसित अनुवादिनी, कंठस्थ और भाषिणी जैसे एप्स की चर्चा की। उन्होंने कहा कि मशीनी अनुवाद पर पूरी तरह निर्भरता संभव नहीं है क्योंकि मानवीय स्पर्श ही अनुवाद को परिष्कृत करता है। उन्होंने मशीनी अनुवाद को हेय दृष्टि से न देखने की सलाह देते हुए कहा कि मशीनें मानव प्रयासों से ही बेहतर हो सकती हैं।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की प्रख्यात अनुवादिका निशात जैदी ने बताया कि मशीनें निरंतर सीखती हैं और डेटा को बेहतर बनाने में सहायक हैं। उन्होंने कहा कि अनुवाद केवल वर्तमान का होता है, जिसमें भाषा के विविध रंग उभरते हैं, लेकिन इसमें भूत और भविष्य की उपस्थिति नहीं होती।
गुजराती अनुवादक योगेश अवस्थी ने सरकारी स्तर पर एआई-संचालित अनुवाद प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मशीनी अनुवाद की मांग भविष्य में बढ़ेगी। हालांकि, उन्होंने डेटा सुरक्षा पर जोर देते हुए चेतावनी दी कि डेटा का दुरुपयोग रोकने के लिए सतर्कता जरूरी है।
अध्यक्ष सुभाष नीरव ने कहा कि सरकारी और शैक्षिक कार्यों के लिए कई अनुवाद एप उपलब्ध हैं, लेकिन साहित्यिक अनुवाद के लिए कोई विश्वसनीय एप नहीं है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए जोर दिया कि केवल मानवीय अनुवादक ही भाषा की शुद्धता और गहराई को पकड़ सकते हैं।
कार्यक्रम के अंत में वक्ताओं ने बताया कि मशीनी अनुवाद की आवश्यकता बढ़ेगी, लेकिन इसे मानवीय प्रयासों और विश्वसनीयता के साथ संतुलित करना होगा। यह आयोजन अनुवाद के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की संभावनाओं और चुनौतियों पर विचार-मंथन का एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ।
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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी
