
जयपुर, 30 सितंबर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान हाईकोर्ट ने दिव्यांग कोटे में चयनित होकर शिक्षक बने अभ्यर्थी की नियुक्ति को रद्द करने वाले विभाग के आदेश को रद्द कर दिया है। जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश लोकेश राठौड की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता 45 फीसदी दिव्यांग है और उसके पास इसका प्रमाण पत्र भी है। इसी के चलते उसका दिसंबर, 2024 में संस्कृत शिक्षा विभाग में चयन हुआ था। वहीं उसने अलवर के राजगढ़ में द्वितीय श्रेणी शिक्षक का कार्य ग्रहण भी कर लिया। अब विभाग ने नियुक्ति के बाद एसएमएस अस्पताल में उसकी वापस दिव्यांगता की जांच की। जिसमें उसकी दिव्यांगता चालीस फीसदी से कम आई। इसके चलते विभाग ने गत अगस्त माह में आदेश जारी कर उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया। विभाग की इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए कहा गया कि राजस्थान सिविल सेवा नियमों के तहत याचिकाकर्ता को बर्खास्त करने से पूर्व नोटिस देकर पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए था। वहीं विभाग को उसके खिलाफ कार्रवाई से पूर्व जांच भी करनी थी, लेकिन विभाग ने नियमों की पालना किए बिना ही उसकी सेवा समाप्त कर दी। वहीं इससे पहले उसे न तो नोटिस दिया गया और ना ही उसे सुनवाई का मौका दिया गया। इसके अलावा चयन से पूर्व उसके पक्ष में जारी दिव्यांग प्रमाण पत्र मान्यता प्राप्त चिकित्सक की ओर से जारी किया गया था और उसे रद्द भी नहीं किया गया। ऐसे में उसे पद से हटाने की कार्रवाई नियमानुसार सही नहीं होने के कारण उसे रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को बर्खास्त करने के आदेश को रद्द कर दिया है।
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(Udaipur Kiran)
