Uttar Pradesh

यूनेस्को के दल ने कालिंजर किले से बृहस्पति कुंड तक भू-सांस्कृतिक धरोहराें का किया निरीक्षण

चित्रकूट जियोपार्क: यूनेस्को विशेषज्ञ दल ने किया कालिंजर किले से बृहस्पति कुंड तक भू-सांस्कृतिक धरोहर स्थलों का निरीक्षण

चित्रकूट, 30 सितंबर (Udaipur Kiran News) । यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क विशेषज्ञ डॉ. अलीरेजा अमरीकजामी के नेतृत्व में विशेषज्ञ दल बुंदेलखण्ड की पुरातात्विक और प्राकृतिक धरोहरों का निरीक्षण करने चित्रकूट जनपद पहुंचा। मंगलवार काे तीन दिवसीय निरीक्षण के दूसरे दिन दल ने चित्रकूट में प्रस्तावित जियोपार्क क्षेत्र की भू-पुरातात्विक और प्राकृतिक धरोहरों का गहन निरीक्षण किया।

दल में शामिल भूतपूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल (डीडीजी), भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (जीएसआई) डॉ. सतीश त्रिपाठी, मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक प्रशांत सिंह बघेल, जियोपार्क समन्वयक और पर्यावरणविद् डॉ. अश्वनी अवस्थी तथा डी.एस.एन. कॉलेज, उन्नाव के प्रोफेसर डॉ. अनिल साहू ने आज कालिंजर किला, नरैनी का टनटना पहाड़ (रिंगिंग बेल रॉक) और बृहस्पति कुंड जलप्रपात व बृहस्पति कुंड शैल चित्राशय का जायजा लिया। ये स्थल चित्रकूट क्षेत्र की भूवैज्ञानिक और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं, जो जियोपार्क की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण हैं।

दल ने सुबह सबसे पहले विंध्याचल पर्वतमाला की गोद में बसे कालिंजर किले का दौरा किया। यह किला, जो समुद्र तल से लगभग 1,200 फुट की ऊंचाई पर स्थित है, एक गिरि दुर्ग और वन दुर्ग का अनुपम संगम है। प्राचीन काल से रणनीतिक महत्व का यह किला चंदेल, कलचुरी, मुगल और बुंदेला राजवंशों का गवाह रहा है। किले के अंदर नीलेकंठ महादेव मंदिर, जो लगभग 2,000 वर्ष पुराना माना जाता है, भूवैज्ञानिक और धार्मिक महत्व को जोड़ता है। यहां की गुफाएं और जलाशय प्राचीन जल संचयन प्रणाली के उदाहरण हैं, जो आज भी कार्यरत हैं। दल ने चट्टानों का नमूना लिया और जीवाश्म अवशेषों के साथ भू-आकृति विज्ञान का अध्ययन किया। डॉ. अनिल साहू ने बताया कि कालिंजर की संरचनाएं जियोपार्क के लिए आदर्श हैं, क्योंकि ये भूवैज्ञानिक इतिहास को जीवंत रूप से दर्शाती हैं। दल ने स्थानीय अधिकारियों से चर्चा कर संरक्षण और पर्यटन विकास के लिए सुझाव दिए।

कालिंजर के बाद दल नरैनी के टनटना पहाड़ पहुंचा, जो रिंगिंग बेल रॉक के लिए प्रसिद्ध है। यह भू-विरासत स्थल चित्रकूट की भूवैज्ञानिक विचित्रताओं का प्रतीक है। यहां की चट्टानें, जो मुख्यतः ग्रेनाइट से बनी हैं, हथौड़े या धातु से टकराने पर घंटी जैसी ध्वनि उत्पन्न करती हैं। यह रिंगिंग रॉक्स की वैश्विक घटना का स्थानीय उदाहरण है, जो संपीडन और घनत्व के कारण होता है। प्रत्येक चट्टान अलग-अलग स्वर उत्पन्न करती है, जैसे प्राकृतिक संगीत वाद्ययंत्र। पहाड़ की ऊंचाई 300-400 मीटर है, और प्राकृतिक पथ चढ़ाई को रोमांचक बनाते हैं। स्थानीय लोककथाओं में इसे भगवान शिव की तपस्या से जोड़ा जाता है। डॉ. अलीरेजा अमरीकजामी ने इसे ‘भू-संगीत’ की संज्ञा दी और कहा कि यह पर्यटकों के लिए इंटरैक्टिव अनुभव होगा। इसके बाद दोपहर में दल पन्ना जिले के पहाड़ी खेड़ा गांव के निकट बृहस्पति कुंड जलप्रपात पहुंचा। यह प्राकृतिक क्रेटर बाघिन नदी घाटी में बसा है, जिसकी ऊंचाई लगभग 300 फुट (90 मीटर) है। मानसून में यह भव्य झरना बन जाता है, जो 100 मीटर ऊंचाई से गिरता प्रतीत होता है। यहां की चट्टानें प्राकृतिक रूप से तराशी हुई हैं, जो ट्रेकिंग के लिए आदर्श हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने हाल ही में यहां 10,000 वर्ष पुराने प्रागैतिहासिक शैल चित्रों की खोज की है, जो शिकार, नृत्य और प्राकृतिक दृश्यों को दर्शाते हैं। कुंड के आसपास घने जंगल में तेंदुआ, हिरण और विभिन्न पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं।

दिन के अंत में दल ने बृहस्पति कुंड आश्रम शैलाश्रय का दौरा किया। यहां प्राकृतिक गुफाओं और शैल आश्रय हैं। यहां 10000 वर्ष पूर्व के आखेटक समुदायों की शैल चित्र पाए गए हैं । मान्यता के अनुसार यह स्थान देवर्षि बृहस्पति की तपस्थली रहा है। स्थानीय लोग इसे पिकनिक स्पॉट मानते हैं, लेकिन जियोपार्क दर्जा इसे वैश्विक पर्यटन स्थल बनाएगा।

निरीक्षण के बाद डॉ. अलीरेजा अमरीकजामी ने संतुष्टि जताते हुए कहा कि निरीक्षण के बाद मैं पूर्ण रूप से संतुष्ट हूं। चित्रकूट की ये संरचनाएं यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क के सभी मानदंडों को पूरा करती हैं। मैं यूनेस्को में जियोपार्क दर्जा की सिफारिश करूंगा। अब सभी व्यवस्थाएं उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकारों के हाथ में हैं। उनकी यह टिप्पणी परियोजना के लिए मील का पत्थर है।

डॉ. सतीश त्रिपाठी ने उत्साह व्यक्त करते हुए कहा कि यूनेस्को विशेषज्ञ की संतुष्टि इस बात का प्रमाण है कि चित्रकूट सभी मानदंडों को पूरा कर रहा है। दोनों राज्य सरकारों को इसे त्वरित रूप से कार्यान्वित करना चाहिए। यह दर्जा विदेशी पर्यटन को बढ़ाएगा और प्रभु राम से जुड़े स्थलों को वैश्विक पहचान देगा। उन्होंने कालिंजर और बृहस्पति जैसे स्थलों को भूवैज्ञानिक इतिहास का जीवंत दस्तावेज बताया।

डॉ. अश्वनी अवस्थी ने प्रतिबद्धता दोहराई कि मैं चित्रकूट में ग्लोबल जियोपार्क स्थापित करने के लिए कटिबद्ध हूं। मैं दोनों राज्य सरकारों से मिलकर इसकी त्वरित स्थापना को बढ़ावा दूंगा। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा और पलायन को रोकेगा।

डॉ. अनिल साहू ने कहा कि यदि दोनों राज्य सरकारें सहमत हैं, तो हम जियोपार्क मान्यता के लिए पूर्ण सहयोग करेंगे। टनटना पहाड़ की रिंगिंग रॉक्स शैक्षिक और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने क्षेत्र के सतत विकास के लिए चित्रकूट जियोपार्क की स्थापना को महत्वपूर्ण बताया।

(Udaipur Kiran) / रतन पटेल

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