
नई दिल्ली, 30 सितंबर (Udaipur Kiran News) । दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण कार्यालय द्वारा “तेज दिमाग के लिए आयुर्वेदिक सुपरफूड्स” विषय पर कुलपति प्रो. योगेश सिंह की नेतृत्व में मंगलवार को सत्यकाम भवन में आचारशाला का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मिरांडा हाउस की प्राचार्या प्रो. विजय लक्ष्मी नंदा को उनके उत्कृष्ट शैक्षणिक कार्यों के आयोजन में महती योगदान हेतु प्रशंसा-पत्र प्रदान किया गया।
अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. रंजन कुमार त्रिपाठी ने अपने स्वागत वक्तव्य में “तेज दिमाग के लिए आयुर्वेदिक सुपरफूड्स” विषय की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। साथ ही उन्होंने अपनी डीएसडब्ल्यू टीम के सहयोग की सराहना की।
सुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. रीना अरोड़ा (बी.ए.एम.एस.) ने कहा कि पित्त, कफ और वात त्रिदोष का असंतुलन, धातुओं और पाचन तंत्र की कमजोरी तथा विरुद्ध आहार अस्वस्थता के प्रमुख कारण हैं। उन्होंने दैनिक आहार की शुद्धि और संतुलन को आवश्यक बताते हुए कहा कि सही आहार न केवल शरीर बल्कि मस्तिष्क को भी सशक्त बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताएं भिन्न होती हैं और आयुर्वेद में शरीर की परीक्षा करके ही उचित उपचार संभव है।
उन्होंने विद्यार्थियों को सावधान करते हुए कहा कि बिना आयुर्वेदाचार्य से परामर्श कोई भी आहार-विधान अपनाना उचित नहीं है और व्यक्ति को अपनी प्रकृति एवं क्षमता के अनुसार ही जीवन का मार्ग चुनना चाहिए।
संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. भारतेन्दु पाण्डेय ने कहा, “आचार से हमें दिशा मिलती है। दिशा बहुत महत्वपूर्ण है। सच्ची दिशा देकर आचारशाला हमें सद्मार्ग पर प्रेरित कर रही है। दिशा गलत होने या आचारहीन होने से ही रावण जैसे विद्वान भी विनाश को प्राप्त हुए।” उन्होंने शास्त्रों के उद्धरणों द्वारा धर्म की रूपरेखा भी प्रस्तुत की।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षक, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित रहे, जिनमें प्रख्यात शिक्षक संस्कृत विभाग पूर्व अध्यक्ष प्रो. ओम नाथ बिमली, प्रो. दया शंकर तिवारी, प्रो. रंजीत बेहरा, प्रो. सुभाष चंद्र, डॉ. संजय यादव, डॉ. अवनीश, डॉ. लक्ष्मी, डॉ. एम. किशन और डॉ. राजमंगल उपस्थिति रहें।
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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी
