
ऊना, 30 सितंबर (Udaipur Kiran News) । भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान ऊना(सलोह) में हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत काव्य-गोष्ठी ‘कलमकृति’ का आयोजन संस्थान के निदेशक प्रो. मनीष गौर के मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी भाषा नोडल अधिकारी डा. सत्येंद्र कुमार ने की। संस्थान के निदेशक प्रो. मनीष गौर ने कार्यक्रम में पहुंचे कवियों को हिमाचली टॉपी पहनाई और पौधे भेंट करते हुए पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया। प्रो. मनीष गौर ने मातृभाषा हिंदी के महत्व पर विचार रखते हुए कहा कि हिंदी न केवल संवाद की भाषा है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और संवेदनाओं की आत्मा है।
कार्यक्रम में डा. देवकला शर्मा ने हिंदी भाषा की महत्ता पर केंद्रित अपनी कविता से श्रोताओं में जोश भर दिया। दर्पण संस्था के अध्यक्ष अशोक कालिया, और कोषाध्यक्ष रामपाल शर्मा ने अपनी गज़़लों को तरन्नुम के साथ प्रस्तुत कर महफिल चार चांद लगा दिए। प्रो. योगेश चंद्र सूद, डा. कल्पना रानी, अलका चावला और कुलदीप शर्मा ने सामाजिक ताने-बाने पर आधारित अपनी कविताओं के माध्यम से श्रोताओं को गहन चिंतन के लिए प्रेरित किया। डा. रजनीकांत शर्मा की गज़़ल ‘बाहर-भीतर बड़ी घुटन है, घर-घर में जारी टूटन है’ और संदीप के गीत ‘ख़ुद से अपना मकां बनाना, जैसा भी हो, अच्छा लगता है’ ने श्रोताओं की संवेदनाओं को गहराई से छुआ और उनकी धडक़नों को आंदोलित कर दिया। डा. सत्येन्द्र कुमार की गज़़ल ‘की जो नफऱत, मिलेगी हज़ारों गुना, प्यार मिलता कभी दो गुना भी नहीं’ सुनकर श्रोताओं ने ख़ूब लुत्फ़ उठाया।
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(Udaipur Kiran) / विकास कौंडल
