
जोधपुर, 30 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर के प्लास्टिक सर्जरी, ट्रॉमा सर्जरी एवं ऑर्थोपेडिक्स विभागों की संयुक्त टीम ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। संस्थान में भर्ती 28 वर्षीय युवक हरलाल के दोनों कटे हुए हाथों को सफलतापूर्वक जोड़ दिया गया है। यह एक अत्यंत जटिल और लंबे समय तक चलने वाली शल्यक्रिया थी, जिसके पश्चात मरीज की हालत अब स्थिर है और वह तेजी से स्वस्थ हो रहा है।
यह दुर्घटना हरलाल के जीवन में एक बड़ा संकट लेकर आई थी। एक गंभीर हादसे में उसके दोनों हाथों में गहरी चोटें आई। दायाँ हाथ पूरी तरह से कट चुका था और केवल त्वचा की एक पतली परत से जुड़ा था, जबकि बाएँ हाथ में हड्डियों के फ्रैक्चर और नसों-धमनियों में गहरी चोटें थीं। प्रारंभिक उपचार के लिए उसे बाड़मेर जिला अस्पताल लाया गया, जहाँ उसे दो यूनिट रक्त चढ़ाया गया और उसकी हालत स्थिर की गई।
18 सितम्बर की सुबह 4.15 बजे हरलाल को एम्स जोधपुर के ट्रॉमा सेंटर लाया गया। यहां ट्रॉमा सर्जरी और प्लास्टिक सर्जरी विभाग की टीमों ने तेजी से कार्रवाई करते हुए मरीज की हालत को स्थिर किया और तत्काल उसे ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट कर दिया गया।
डॉ. प्रकाश चंद्र काला (प्रमुख, प्लास्टिक सर्जरी विभाग) ने बताया कि लगभग 10 से 12 घंटे तक चले ऑपरेशन में खून की महीन नसों को माइक्रोस्कोप की सहायता से जोड़ा गया। इसके बाद हड्डियों, टेन्डन और अन्य संरचनाओं को भी सटीकता और कुशलता से पुनर्स्थापित किया गया। यह सर्जरी न केवल तकनीकी दृष्टि से चुनौतीपूर्ण थी बल्कि अत्यंत सूक्ष्म कौशल की भी मांग करती थी। इस जटिल शल्यक्रिया में कई विभागों के विशेषज्ञों ने योगदान दिया।
27 सितम्बर ऑपरेशन के दसवें दिन, मरीज की हालत पूरी तरह स्थिर है। दाएँ हाथ की उंगलियों में रक्त संचार सामान्य रूप से हो रहा है और हड्डियों का जुडऩा व फिजियोथेरेपी की प्रक्रिया जारी है। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि हरलाल अगले 3 से 4 सप्ताह में सामान्य कार्यों को करने में सक्षम हो जाएगा। एम्स जोधपुर के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में हाथों की जटिल सर्जरी के लिए पूर्णतया प्रशिक्षित फैकल्टी, माइक्रोसर्जरी तकनीक और अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
(Udaipur Kiran) / सतीश
