
रांची, 29 सितंबर (Udaipur Kiran News) । झारखंड के विभिन्न आदिवासी संगठनों ने सोमवार को रांची में संयुक्त प्रेस वार्ता कर कुरमी–कुड़मी महतो समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जा दिए जाने की मांग का विरोध किया। संगठनों ने एक स्वर में कहा कि कुरमी–कुड़मी–महतो को आरक्षण में शामिल करना हर हाल में आदिवासी समाज के लिए घातक साबित होगा।
उन्हें एसटी में शामिल करने की यह मांग न केवल ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत है, बल्कि संविधान और सामाजिक न्याय की भावना के भी खिलाफ है।
इस अवसर पर डीएसपीएमयू के अध्यक्ष विवेक तिर्की ने कहा कि इस समाज को आरक्षण में शामिल करने की कोई भी कोशिश आदिवासी समाज के लिए घातक साबित होगी। उन्होंने प्रशासन से अपील किया कि शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कुरमी–कुड़मी नेतृत्व के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
रांची विश्वविद्यालय के अध्यक्ष मनोज उरांव ने कहा कि यदि कुड़मी–कुर्मी समाज स्वयं को आदिवासी मानते हैं, तो उन्हें प्रार्थना करनी चाहिए कि अगले जन्म में वे किसी आदिवासी मां की कोख से जन्म लें। आदिवासी छात्र संघ के पलामू प्रभारी आशुतोष सिंह चेरो ने कहा कि कुरमी–कुड़मी समाज की ओर से फैलाया जा रहा भ्रम और अराजकता आदिवासी हक और अधिकारों पर सीधा हमला है।
एडवोकेट देवी दयाल मुंडा ने इसे गैर-संवैधानिक मांग बताते हुए तुरंत वापस लेने की बात कही। आदिवासी मूलवासी मंच के कार्यकारी अध्यक्ष सूरज टोप्पो ने कहा कि कुरमी–कुड़मी समाज कभी स्वयं को शिवाजी का तो कभी लव-कुश का वंशज बताते हैं, जिससे उनकी पहचान को लेकर असमंजस साफ झलकता है। गोपाल सिंह मुंडा ने आरोप लगाया कि कुरमी–कुड़मी समाज रघुनाथ महतो के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत कर रहा है।
प्रेसवार्ता में आदिवासी छात्र संघ, झारखंडी आदिवासी बचाव संघर्ष समिति, आदिवासी मूलवासी मंच सहित कई संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar
