
-ऑपरेशन सिंदूर में आए थे बेहतर परिणाम
-सेना के जवानों ने मानव रहित हवाई प्रणाली का किया प्रदर्शन
चंडीगढ़, 29 सितंबर (Udaipur Kiran News) । युद्ध में स्वदेशी ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सेना के जवानों ने सोमवार को नारायणगढ़ फील्ड फायरिंग रेंज में स्वदेशी ड्रोनों की दक्षता और युद्ध में उनके उपयोग का परीक्षण करने के लिए द्विपक्षीय संयुक्त अभ्यास वायु समन्वय का आयोजन किया।
पश्चिमी कमान के तत्वावधान में आयोजित इस अभ्यास ने भारतीय सेना की अपनी मानवरहित हवाई प्रणालियों में आक्रामक अभियान चलाने की क्षमता का प्रदर्शन किया। साथ ही एक जटिल युद्धक्षेत्र में यूएएस प्रणालियों का भी प्रदर्शन किया। इस अभ्यास ने अपने सैनिकों की तैयारियों, युद्धक्षेत्र की उभरती चुनौतियों के बीच समाधान खोजने, रणनीति और प्रक्रिया में बदलाव लाने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित किया गया।
पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम ने इस अभ्यास को देखा और सैनिकों की व्यावसायिकता और तकनीकी अनुकूलनशीलता की सराहना की। सेना कमांडर ने भविष्य के युद्ध में ड्रोन की भूमिका और युद्ध के विभिन्न क्षेत्रों में उनके उपयोग की आवश्यकता पर जाेर दिया। इस दौरान उन्होंने ड्रोन के अभिनव उपयोग को शामिल करते हुए अभ्यासों को और बेहतर बनाने की निरंतर आवश्यकता पर भी बल दिया। दुश्मन के ड्रोन सिस्टम का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने की आवश्यकता पर चर्चा करते हुए उन्होंने काउंटर ड्रोन सिस्टम के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी ये सिस्टम बहुत प्रभावी रहे थे और भारतीय सेना ने दुश्मन की हवाई प्रणालियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया था।
इस वायु समन्वय अभ्यास में उद्योग जगत के विभिन्न ड्रोनों का प्रभावशाली प्रदर्शन भी किया गया, जिसमें कई अत्याधुनिक स्वदेशी प्लेटफॉर्म भी शामिल थे, जिसने मानवरहित प्रणालियों के क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और तकनीकी कौशल के बारे में बताया।
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(Udaipur Kiran) शर्मा
