Uttar Pradesh

वाराणसी में आईआईवीआर ने मनाया 35वां स्थापना दिवस, कृषि क्षेत्र में नवाचारों का हुआ प्रदर्शन

वाराणसी में आईआईवीआर का स्थापना दिवस

—समग्र दृष्टिकोण से कृषि विकास की आवश्यकता : डॉ. मंगला राय

वाराणसी, 28 सितंबर (Udaipur Kiran News) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), शाहंशाहपुर ने रविवार को अपना 35वां स्थापना दिवस उल्लासपूर्वक मनाया। इस अवसर पर पूर्व सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, आईसीएआर डॉ. मंगला राय मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

डॉ. मंगला राय ने अपने संबोधन में कहा कि कृषि को समेकित एवं समग्र दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है, ताकि देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि आईआईवीआर ने सब्जी क्रांति का नेतृत्व करते हुए न केवल उत्पादकता में वृद्धि की है, बल्कि गुणवत्ता को भी नए स्तर तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि भविष्य में जलवायु स्मार्ट फसलें, पोषक तत्वों से भरपूर किस्में और शहरी खेती मॉडल भारत की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करेंगे। उन्होंने वैज्ञानिकों से मृदा सूक्ष्मजीवों, सेकेंडरी एग्रीकल्चर, मृदा कार्बन तत्वों पर विशेष शोध करने की अपील की और कहा कि समेकित शोध की दिशा में कार्य करना होगा।

—उन्नत तकनीकों और उत्पादकता वृद्धि की दिशा में कार्य

इस अवसर पर आईसीएआर के सहायक महानिदेशक डॉ. सुधाकर पांडेय ने बताया कि फिलहाल प्रति व्यक्ति प्रतिमाह लगभग 9 किलोग्राम फल एवं सब्जी की उपलब्धता है। लेकिन अनुमान है कि 25 वर्षों में 592 मिलियन टन उत्पादन और 34 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता की आवश्यकता होगी। उन्होंने बहु-रोग प्रतिरोधी किस्मों, सुरक्षित सब्जी उत्पादन और आधुनिक तकनीकों के उपयोग को समय की जरूरत बताया।

—संस्थान की उपलब्धियां और भविष्य की योजनाएं

वाराणसी स्थित संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि आईआईवीआर का लक्ष्य सब्जियों को केवल पोषण का साधन नहीं, बल्कि किसान समृद्धि और सतत आजीविका का आधार बनाना है। उन्होंने बताया कि भविष्य में जीनोमिक्स, एआई आधारित प्रजनन, जलवायु सहनशील किस्में, संरक्षित एवं शहरी खेती तथा प्राकृतिक खेती की दिशा में और अधिक कार्य किया जाएगा। निदेश​क के अनुसार संस्थान में अब तक 33 सब्जी फसलों में 133 उन्नत किस्में विकसित की जा चुकी हैं, जिनमें 25 संकर किस्में भी शामिल हैं। काशी मनु (कलमी साग), काशी अन्नपूर्णा (पंखिया सेम), काशी उदय, काशी नंदिनी (मटर), काशी गंगा (लौकी), काशी तरु (बैंगन) जैसी किस्में किसानों में अत्यंत लोकप्रिय हैं।

—संस्थान द्वारा विकसित कुछ प्रमुख नवाचार:

संस्थान ने टोमैटो ग्राफ्टिंग, पोमेटो, ब्रिमेटो, माइक्रोन्यूट्रिएंट फॉर्मुलेशन (काशी सूक्ष्म शक्ति) और एफपीओ आधारित तकनीक वितरण मॉडल के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हरी मिर्च पाउडर, इंस्टेंट लौकी खीर मिक्स, इंस्टेंट सहजन सूप मिक्स, करेला चिप्स और कद्दू हलवा मिक्स जैसे मूल्य संवर्धित उत्पादों से ग्रामीण उद्यमिता को नई दिशा मिली है।

— सम्मान और सहयोग समझौते

कार्यक्रम के दौरान उत्कृष्ट कार्य के लिए डॉ. नागेंद्र राय, संजय कुमार यादव, गोपीनाथ, कमलेश मीना और नारायणी सिंह को सम्मानित किया गया। जनजातीय उप-योजना के अंतर्गत 15 अनुसूचित जनजातीय महिलाओं को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र एवं सिलाई मशीनें वितरित की गईं। इस अवसर पर संस्थान ने विभिन्न संगठनों के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हेतु समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। कार्यक्रम में संस्थान ने नेक्सस एग्रो जेनेटिक्स सीड्स, वाराणसी के साथ काशी सुहावनी, तेजस्वनी सीड्स, मिर्जापुर के साथ काशी निधि, त्रिपाठी बीज उत्पादक समिति, जालौन के साथ काशी उदय, तथा धीरज कुमार उपाध्याय, मिर्जापुर और पंकज कुमार श्रीवास्तव, आजमगढ़ के साथ ब्रिमेटो ग्राफ्टिंग टेक्नोलॉजी के स्थानांतरण के लिए समझौते किए। साथ ही एग्रिमित्र किसान उत्पादन समिति, एवं कठेरवा महादेव फार्मर प्रोडूसर कंपनी, मिर्ज़ापुर के साथ भी समझौता ज्ञापन का हस्तांतरण किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डॉ. नीरज सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ए.एन. सिंह ने किया।

—————

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

Most Popular

To Top