
रांची, 28 सितंबर (Udaipur Kiran News) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से रांची के माधव नगर स्थित बिहारी क्लब, हिनू में विजयादशमी का भव्य आयोजन रविवार को किया गया।
कार्यक्रम में प्रांत संपर्क प्रमुख राजीव कमल बिट्टू ने संबोधित किया।
इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना, इसके विकास में पीढ़ियों के योगदान और आगामी दिशा पर महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किया।
बिट्टू ने संघ के मार्गदर्शन में आयी पीढ़ियों का विस्तृत विवरण दिया और बताया कि किस प्रकार प्रत्येक पीढ़ी ने संघ को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्होंने संघ के संस्थापक डॉ केशव राव बलीराम हेडगेवार की भूमिका पर भी विशेष प्रकाश डाला और बताया कि संघ की यात्रा केवल एक संगठन के रूप में नहीं, बल्कि एक राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया के रूप में रही है।
संघ की चार पीढ़ियों का योगदान
-संघ की स्थापना
उन्होंने कहा कि संघ की पहली पीढ़ी ने राष्ट्रीय एकता और समाज सुधार की आवश्यकता को महसूस करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। डॉ हेडगेवार ने समाज में फैली विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन की नींव रखी।
-संघ कार्य को राष्ट्रव्यापी बनाया
दूसरी पीढ़ी ने हर उस क्षेत्र में संघ का कार्य खड़ा किया, जहां इसकी आवश्यकता महसूस हुई। संघर्षों और चुनौतियों के बावजूद उन्होंने संगठन को राष्ट्रव्यापी स्वरूप देने का कार्य किया। इस समय संघ ने देशभर में अपने कार्य का विस्तार किया और समाज में अपनी भूमिका को और अधिक मजबूती से स्थापित किया। संघ के कामकाजी क्षेत्र और कार्यक्रमों में वृद्धि हुई और इससे संघ की पहुंच हर प्रदेश में फैल गई।
– संघ कार्य को समाजव्यापी बनाया
तीसरी पीढ़ी ने दूसरी पीढ़ी से प्रेरणा लेकर संघ के कार्य को समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचाया। सामाजिक आंदोलनों जिसमें गोरक्षा आंदोलन, राम मंदिर आंदोलन के माध्यम से समाज में जागरूकता उत्पन्न की। तीसरी पीढ़ी ने संघ कार्य को एकजुट किया और समाज में समन्वय बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए। यह समय संघ के लिए एक गंभीर संघर्ष काल था, जिसमें उन्हें कई प्रकार के राजनीतिक विरोधों का सामना करना पड़ा।
-संघ कार्य का विस्तार
संघ की पांचवीं पीढ़ी ने विरोधी राजनीतिक ताकतों और सरकारों के बावजूद संघ कार्य को गति दी और इसे वैश्विक स्तर पर फैलाने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने इसे विश्वव्यापी बनाया, जिससे संघ ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपनी पहचान बनाई। संघ कार्य को सर्वव्यापी बनाना है।
वहीं चौथी पीढ़ी अब पांचवीं पीढ़ी को तैयार करने में लगी है जिनका उनका उद्देश्य होगा कि संघ समाज के हर क्षेत्र और हर वर्ग तक अपनी सेवा पहुंचाए। ताकि, समाज का प्रत्येक व्यक्ति संघ की भूमिका को समझे और उसे अपनाए। साथ ही छठी पीढ़ी का निर्माण मे लगेंगे
संघ की यात्रा : चुनौतीपूर्ण समय और अनवरत संघर्ष
बिट्टू ने बताया कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगाया गया, बावजूद इसके संघ निरंतर कार्य करता रहा। संघ के कार्यकर्ताओं ने सत्य, सेवा और राष्ट्र निर्माण की दिशा में अपने प्रयासों को जारी रखा। संघ पर कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हो पाया और यह केवल संघ के सत्य और सेवा के प्रति अडिग प्रतिबद्धता का परिणाम था।
संघ का भविष्य और पंच परिवर्तन का आह्वान
विजयादशमी के इस अवसर पर बिट्टू ने पंच परिवर्तन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने समाज के पांच प्रमुख क्षेत्रों में सुधार की दिशा में संघ के किए जा रहे प्रयासों पर विस्तृत विचार प्रस्तुत किया। इसमें सामाजिक समरसता – जातिगत भेदभाव और छुआछूत का उन्मूलन, पर्यावरण संतुलन – प्रकृति की रक्षा और संवेदनशीलता का विकास, कुटुंब प्रबोधन – परिवार संस्था का सशक्तिकरण, स्वदेशी आत्मनिर्भरता की भावना को बढ़ावा देना और नागरिक कर्तव्य – अधिकारों से पहले कर्तव्यों की जागरूकता शामिल है।
कार्यक्रम के अंत में बिट्टू ने कहा कि संघ और समाज में कोई अंतर न रहे, यह संघ का अंतिम लक्ष्य है। उन्होंने घर-घर संपर्क अभियान के माध्यम से समाज को जागरूक करने की दिशा में संघ के प्रयासों की सराहना की और समाज से अपील किया कि वे इसमें सक्रिय रूप से भाग लें।
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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे
