

रांची, 28 सितंबर (Udaipur Kiran News) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वाल्मीकि नगर की ओर से शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में रविवार को पथ संचलन और शस्त्र पूजन के साथ स्थापना दिवस उत्सव मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विश्व हिंदू परिषद, झारखंड-बिहार के क्षेत्र मंत्री डॉ. बीरेन्द्र साहु रहे, जबकि बाल्मीकि नगर सहसंचालक अभिनव शाह ने शस्त्र पूजन किया।
डॉ. बीरेन्द्र साहु ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति अनंत काल से विश्व मानव समुदाय के साथ-साथ समस्त जड़-चेतन जीव का भी कल्याण करती आ रही है। विश्व की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, आर्थिक और बौद्धिक स्तर को सनातन परंपरा मजबूत करता रहा है और आगे भी करता रहेगा। भारत वर्ष सदैव से विश्व गुरु रहा है और आज भी विश्व कल्याण के अनेक कार्यों में अपना योगदान दे रहा है।
डॉ. साहु ने कहा कि संपूर्ण यूरोप और एशिया, जो जम्मूद्वीप से विख्यात है, भू-धारा में एक ओर विगत 2025 वर्ष पूर्व यूरोप से, तो दूसरी ओर 1425 वर्ष पूर्व अरब से दो मतों का संक्रमण के कारण सनातन परंपरा को सदैव क्षति पहुंचती रही है, जिसका परिणाम जम्मूद्वीप विखंडित होकर आज अनेक मुस्लिम एवं ईसाई देश बन गए। 1947 के बचे हुए भूभाग भी आज इस संक्रमण से प्रभावित हो रहे हैं, जो सनातन परंपरा के लिए चिंतनीय विषय है।
उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के पूर्व देश में अंतिम शासक के रूप में अंग्रेजों ने बचे हुए भू-धरा को 1876 में अफगानिस्तान के रूप में अलग करना प्रारंभ किया, जो निरंतर 1947 तक चलाता रहा। स्वाधीनता संग्राम सेनानी के बल पर जब भारत स्वाधीन होने की स्थिति में दिखाई पड़ने लगा, तबतक संक्रमण काल में समाज के अंदर अनेक कुरीतियां व्याप्त हो चुकी थीं। इन कुरीतियों को दूर करने एवं हिंदू राष्ट्र के स्वाभिमान को जगाए रखने के उद्देश्य से परम पूज्य डॉ. केशव बलीराव हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के पावन दिवस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। आज यह संगठन विश्व स्तरीय संगठन बन चुका है। देश में 68000 (अरसठ हजार) शाखाएं चल रही हैं। शताब्दी वर्ष में 100000 (एक लाख) पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
डॉ. बीरेन्द्र साहु ने कहा कि मनुष्य का 100 वर्ष पूरा होना जीवन समाप्ति का परिचायक होता है, लेकिन इस संगठन का 100 वर्ष पूर्ण होना उसकी परिपक्वता को दर्शाता है। हम शताब्दी वर्ष की स्थापना दिवस को मनाने वाले सौभाग्यशाली स्वयंसेवक हैं। आज संघ के विभिन्न आयाम एवं अनुसांगिक घटकों के साथ मिलकर देश के स्वर्णिम इतिहास को दोहराने का कार्य किया जा रहा है। अयोध्या में भगवान पुरुषोत्तम श्रीरामलला का भव्य और दिव्य मंदिर निर्माण होना इसका एक उदाहरण है।
डॉ. साहू ने कहा कि प्रत्येक स्वयंसेवक को शताब्दी वर्ष के लिए दिए गए पंचपरिवर्तन विषय, क्रमशः कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण, स्व का जागरण तथा नागरिक कर्तव्य में से किसी एक पर गहनता पूर्वक कार्य करना है। स्थापना दिवस के पश्चात आगामी गृह संपर्क, हिंदू सम्मेलन, सद्भाव बैठक, युवा प्रेरणा कार्यक्रम के साथ-साथ शाखा विस्तार के कार्यक्रम में अग्रणी भूमिका निभाना है।
कार्यक्रम में संतोष सोनी, मनीष साहू, प्रेम कुमार सहित दर्जनों स्वयंसेवक उपस्थित थे।—————
(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे
