
-तीसरे संस्करण में भारत सहित शामिल हुए 16 देशों के 550 से अधिक प्रतिभागी
पटना, 28 सितंबर (Udaipur Kiran News) । बिहार की राजधानी पटना के ज्ञान भवन, सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र में आयोजित एशिया के सबसे बड़े साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ का समापन रविवार को उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘उन्मेष’ ने एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार किया है।
इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने कहा, यह मेरा सौभाग्य है कि मैं संस्कृति, साहित्य और ज्ञान की धरती पर खड़ा होकर आप सबको संबोधित कर रहा हूं। अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष ने विभिन्न भाषाओं के बंधन को तोड़ते हुए श्रेष्ठ साहित्य से रूबरू होने का एक यादगार अवसर उपलब्ध कराया है। उन्होंने कहा कि संस्कृति मंत्रालय इसके लिए बधाई का हकदार है, जिसने इतनी भाषाओं, अन्य देशों के लोगों को इससे जोड़ा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि यूरोप में कभी किसी ने उनसे भारत की भाषायी एकता पर आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि कैसे संभव है, तब उन्होंने जवाब दिया था कि हम सब भारतवासी भाषा से नहीं धर्म से भी जुड़े हुए हैं। उन्मेष ने एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को बहुत अच्छे ढंग से साकार किया है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हमारी नई पीढ़ी और हमारे अन्य लेखक तथा चिंतक इससे प्रेरणा लेकर और बेहतर साहित्य रचने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
उपराष्ट्रपति ने बिहार की भूमि पर जन्मी माँ सीता, भगवान बुद्ध, महावीर के साथ ही नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन्होंने ही भारत को विश्व गुरु का दर्जा दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने नालंदा के पुनः शुरू होने पर हर्ष व्यक्त किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि बिहार माता सीता की जन्मभूमि और सदियों से विश्व को प्रेरित करने वाली पवित्र धरती है। यह उनका बिहार का पहला दौरा है और इस पवित्र भूमि का हिस्सा बनना उनके लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि बिहार माता सीता की जन्मभूमि है, जिन्होंने साहस और धैर्य का जीवन जीकर पूरे विश्व को प्रेरित किया। यही सीख हमें भी संघर्ष और आगे बढ़ने की शक्ति देती है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि बिहार सदियों से क्रांतिकारियों का केंद्र रहा है। 19 वर्ष की आयु में वे स्वयं जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन का हिस्सा बने थे। छठ पर्व का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह पर्व हमारी संस्कृति की विशिष्टता है, जहां उगते सूर्य के साथ-साथ डूबते सूर्य की भी पूजा की जाती है।
पटना में आयोजित समारोह में बिहार के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद खान, बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, पर्यटन मंत्री, बिहार सरकार राजू कुमार सिंह, साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक, उपराष्ट्रपति के सचिव अमित खरे एवं सचिव, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार विवेक अग्रवाल भी मंच पर उपस्थित थे। आज 19 सत्रों 112 साहित्यकारों ने भाग लिया।
आज आयोजित कुछ महत्त्वपूर्ण सत्र थे – भारत में लोकसाहित्य, मिथ और यथार्थ से शहरी असंबद्धता, कालजयी मध्यकालीन और आधुनिक भारतीय साहित्य में व्यंग्य, साहित्य और पर्यावरणशास्त्र की भाषा, भारतीय बाल साहित्य में विविधता का चित्रण आदि प्रमुख थे। इसके अतिरिक्त कहानी-कविता पाठ के 11 सत्र आयोजित हुए।
आज के इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण प्रख्यात अभिनेता अमोल पालेकर और संध्या गोखले से बातचीत और ग्रेमी पुरस्कार विजेता रिकी केज की संगीत प्रस्तुति भी रही। इससे पहले यह अंतरराष्ट्रीय उत्सव शिमला एवं भोपाल में आयोजित किया जा चुका है।
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(Udaipur Kiran) / गोविंद चौधरी
