Jammu & Kashmir

जोड़ियां माता मंदिर में रोजाना हजारों श्रद्धालु माथा टेकने पहुंच रहे, सुविधाओं के अभाव के चलते श्रद्धालुओं में रोष

Thousands of devotees visit the Jodian Mata Temple daily to pay obeisance, but the lack of facilities has caused anger among the devotees

कठुआ, 28 सितंबर (Udaipur Kiran News) । कठुआ जिला की पहाड़ी तहसीलें बनी और बसोहली के अधीन पड़ती माता जोड़ियां का मंदिर है जहां पर नवरात्रों में हजारों की संख्या में रोजाना श्रद्धालु माथा टेकने आ रहे हैं। लेकिन सुविधाओं के अभाव के चलते श्रद्धालुओं, लंगर कमेटियों और स्थानीय लोगों में काफी रोष है। श्रद्धालुओं के लिए लंगर कमेटियां ही एक मात्र सहारा है जबकि जिला प्रशासन द्वारा मात्र भवन पर सुरक्षा मुहैया करवाई गई है।

कठुआ जिला मुख्यालय से 135 किलोमीटर की दूरी पर बसोहली तहसील के शीतल नगर से माता जोड़ियां की यात्रा शुरू होती है जिसमें पहला पड़ाव कोट गांव से है जहां पर लंगर कमेटी द्वारा यात्रियों की सुविधाओं के लिए इंतजाम किए गए हैं। उसके बाद अगला पड़ाव बांजल जोकि बनी तहसील के अधीन है और करीब 5 से 6 किलोमीटर के इस पैदल यात्रा मार्ग पर प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है। बांजल में लंगर कमेटी द्वारा यात्रियों के लिए रहने खानेे की व्यवस्था की गई है। बांजल से करीब डेढ़ किलोमीटर के बाद धनी जहां पर एक और लंगर कमेटी द्वारा लंगर लगाया गया है और वहां पर भी यात्रियों के लिए इंतजाम किए गए हैं। करीब 1 किलोमीटर के बाद वारला चैगान यूथ क्लब लंगर कमेटी द्वारा रहने खाने की व्यवस्था की गई है। इसी प्रकार माता के दरबार में भी पिछले कई वर्षों से बनी की एक लंगर कमेटी और मंदिर कमेटी यात्रियों के लिए इंतजाम कर रही है। लेकिन जिला प्रशासन की ओर से मात्र सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं।

करीब 13 किलोमीटर पैदल यात्रा मार्ग पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता जोड़ियां के जयकारे लगाते हुए मां शीतला के दरबार में पहुंचते हैं। इस 13 किलोमीटर यात्रा मार्ग का आधा हिस्सा तहसील बनी और आधा तहसील बसोहली के अंतर्गत पड़ता है लेकिन यात्रियों की सुविधाओं के लिए किसी भी प्रकार की कोई भी जिला प्रशासन की ओर से व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं रास्ते में आने जाने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि पिछले 20 वर्षों से माता जोड़ियां के दरबार में हाजिरी लगाने आ रहे हैं और पहले भी रास्ता इसी तरह दुर्गम था और आज भी वैसे ही रास्ता है और रास्ते में किसी भी प्रकार की कोई लाइट का इंतजाम नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर लंगर कमेटियां यात्रियों को सुविधा प्रदान न करें तो शायद यात्रा ही ना हो लेकिन लोगों में भी माता जोड़ियां के प्रति बहुत आस्था है। लोग इन दुर्गम रास्तों में नंगे पांव माता के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। स्थानीय लोगों और लंगर कमेटियों के सदस्यों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से प्रशासन और तत्कालीन सरकारों से गुहार लगा चुके हैं कि यात्रियों के लिए पैदल मार्ग की बेहतर व्यवस्था की जाए और रास्ते में जगह-जगह लाइटों का भी इंतजाम किया जाए क्योंकि नवरात्रों में इन दुर्गम रास्तों पर दिन-रात यात्रा का आगमन रहता है। लेकिन रात के समय सभी यात्री अपने मोबाइल की लाइट का सहारा लेकर अपना सफर तय करते हैं और जिला प्रशासन को कोसते नजर आते हैं। वहीं यात्रियों का कहना है कि अगर लंगर कमेटियां यात्रियों के लिए व्यवस्था न करें तो शायद ही यात्रा कामयाब हो। वहीं जिला विकास परिषद के अध्यक्ष सेवानिवृत कर्नल महान सिंह ने बताया कि माता जोड़ियां मंदिर की आस्था लोगों से जुड़ी हुई है, हजारों की संख्या में यहां पर श्रद्धालु माता टेकने आते हैं। हमें भी दुख है कि आज तक यात्रियों को बेहतर सुविधा नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि सियार से चलां तक सड़क बना दी गई है और बहुत जल्द चलां से बांजल तक सड़क बन जाएगी। जिसके बाद बांजल तक श्रद्धालुओं की गाड़ियां पहुंच जाएगी। मात्र 6 किलोमीटर पैदल मार्ग भी बहुत जल्द बनाया जाएगा। तब तक यात्रियों को बेहतर सुविधा के लिए लाइटिंग और पैदल यात्रा मार्ग को भी दुरुस्त किया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / सचिन खजूरिया

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