

शिमला, 28 सितंबर (Udaipur Kiran News) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष और विजयदशमी पर्व के उपलक्ष में रविवार को शिमला के बालूगंज स्थित खेल मैदान में नगर एकत्रीकरण और पथ संचलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ध्वजारोहण और शस्त्र पूजन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता उषा शर्मा मौजूद रहीं। प्रांत संघ चालक वीर सिंह रांगड़ा, जिला संघ चालक अजय सूद, नगर संघ चालक डॉक्टर ज्योति प्रकाश भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर क्षेत्रीय बौद्धिक शिक्षण प्रमुख हरीश कुमार ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया।
करीब 400 स्वयंसेवक गणवेश में और समाज से लगभग 80 भाई-बहन कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उषा शर्मा ने संघ के समाज उत्थान में योगदान की सराहना की और सभी को सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः के संदेश का महत्व समझाया।
मुख्य वक्ता हरीश कुमार ने अपने उद्बोधन में विजयदशमी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश जीवन में उतारना आवश्यक है। उन्होंने संघ की स्थापना के उद्देश्य और प्रथम सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के जीवन व स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को विस्तार से बताया। उन्होंने आठ वर्षीय नन्हे केशव द्वारा विद्यालय में महारानी विक्टोरिया के राज्याभिषेक कार्यक्रम के बहिष्कार और वंदे मातरम के उद्घोष का उल्लेख करते हुए उनकी देशभक्ति का उदाहरण प्रस्तुत किया।
उन्होंने द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर के कार्यकाल में संघ के विस्तार और विविध संगठनों की स्थापना पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने संघ के पंच परिवर्तन सामाजिक समरसता, स्व का भाव, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण और नागरिक कर्तव्य का विस्तृत उल्लेख करते हुए कहा कि यही समाज और राष्ट्र की मजबूती का आधार हैं।
हरीश कुमार ने 1962 के भारत-चीन युद्ध का उल्लेख करते हुए बताया कि उस समय संघ ने निःस्वार्थ सेवा और वीरता का परिचय दिया, जिसके चलते संघ विरोधी रही तत्कालीन सरकार ने भी 1963 की गणतंत्र दिवस परेड में स्वयंसेवकों को आमंत्रित किया।
उन्होंने आह्वान किया कि प्रत्येक स्वयंसेवक और समाज का हर वर्ग देश की प्रगति, एकता और पुनर्गौरव की प्राप्ति के लिए सहयोगी बने।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
