Uttrakhand

विश्व नदी दिवस पर किया गंगा पूजन,  रामायण वाटिका में पौधरोपण

विश्व नदी दिवस पर गंगा जी की पूजा अर्चना करते हुए

उत्तरकाशी, 28 सितंबर (Udaipur Kiran News) । : विश्व नदी दिवस पर गंगोरी स्थित असी गंगा और गंगा जी के संगम तट पर पूजन अर्चना कर किया। घाट पर अवस्थित रामायण वाटिका में पौधरोपण किया गया। आचार्य डॉ. प्रदीप कोठारी ने कहा कि पुराणों व वेदों में गंगा जी को बारंबार तीर्थमयी कहा गया है।

खास कर कलयुग में गंगा की पूजा से ही फल की प्राप्ति बताई गई है सर्वतीर्थमयी गंगा सर्वदेवमया हरि:। गंगा शिव व विष्णु दोनों की प्रिय है, जिसे माता का दर्जा दिया गया है। ब्रह्म के कमण्डलु में जल रूप में रहने के. कारण ब्रह्म को भी अतिप्रिय हैं। इसी कारण गंगा किनारे बसे तीर्थ सभी देवताओं के तीर्थ हैं। साथ ही गंगा अपने जल से संसार को पवित्र करती है।

बता दें कि विश्व नदी दिवस हर साल सितंबर के चौथे रविवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों के बीच नदियों के महत्व के प्रति जागरूकता को बढ़ाना है। इसके अलावा लोगों को नदियों के संरक्षण के बारे में संदेश देना और जनता को यह प्रेरित करना कि वे नदियों की स्वच्छता बनाए रखने में सहभागी बनें। इस अवसर पर गंगा विश्व धरोहर मंच के संस्थापक व संयोजक डॉ. शम्भू प्रसाद नौटियाल ने कहा कि विश्व नदी दिवस पर आइए संकल्प लें कि हम अपनी नदियों—जिन्हें हमारी संस्कृति में माँ का दर्जा प्राप्त है—को स्वच्छ, अविरल और संरक्षित रखने में अपना योगदान देंगे।जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा के तरीकों में बदलाव आया है, जिससे कुछ क्षेत्रों में सूखे की स्थिति बढ़ गई है और नदियों में पानी का प्रवाह कम हो गया है। नदियों से रेत का अवैध खनन भी नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है और नदियों के बहाव को बदल रहा है।

जंगलों की कटाई से मिट्टी का कटाव बढ़ रहा है, जिससे नदियों में गाद जमा हो रही है और उनकी गहराई कम हो रही है। भारत नदियों का एक अनोखा देश है जहां नदियों को पूजनीय माना जाता है। विश्व नदी दिवस हमें यह चेतावनी देता है कि यदि नदियां सूख जाएंगी, प्रदूषित हो जाएंगी या विलुप्त हो जाएंगी तो मानव सभ्यता का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। नदियां हमारी जीवनरेखा और सांस्कृतिक धरोहर हैं, उनका संरक्षण करना ही आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन और आशा को बचाना है।

यह अवसर हमें यह संकल्प लेने का आह्वान करता है कि हम नदियों को केवल उपयोग की वस्तु न समझें, बल्कि जीवित प्राणी की तरह उनका सम्मान करें, क्योंकि नदी बचेगी तो जीवन बचेगा, नदी बहेगी तो संस्कृति बहेगी। भारत में तो नदियों को देवी और मां की संज्ञा दी गई है। ऐसे में नदियों के महत्व को नकारा नहीं किया जा सकता है। नदियां हमारे जीवन का आधार हैं और हमें इनकी रक्षा करनी चाहिए। आज दुनिया भर में विश्व नदी दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर हिल ड्यू होमस्टे के संचालक अखिल पंत, मयंक व श्रेयश ने सहयोग किया।

(Udaipur Kiran) / चिरंजीव सेमवाल

Most Popular

To Top