
हल्द्वानी, 28 सितंबर (Udaipur Kiran News) । अखिल भारतीय किसान महासभा बागजाला द्वारा धरना स्थल पर शहीदे आज़म भगत सिंह भगत सिंह के जन्मदिन 28 सितंबर पर उन्हें याद करते कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शुरुआत भगत सिंह के प्रिय नारे ‘इंकलाब जिंदाबाद’ को बुलंद करके की गयी।
इस अवसर पर देश में सचेत रूप से फैलाए जा रहे धार्मिक उन्माद के खिलाफ जन जागरण का संकल्प लिया गया। सरफरोशी की तमन्ना, लड़ना है भाई ये तो लंबी लड़ाई है, बिन लड़े कुछ भी नहीं मिलता यहां यह जानकर अब लड़ाई लड रहे हैं लोग मेरे गांव के, मेरा रंग दे बसंती चोला आदि जनगीत गाए गए। बागजाला वासियों को मालिकाना अधिकार देने, निर्माण कार्यों पर लगी रोक हटाने, पंचायत चुनाव के अधिकार को बहाल करने समेत आठ सूत्रीय मांगों पर अनिश्चितकालीन धरना बागजाला में 42वें दिन भी जारी रहा।
भगत सिंह जन्मदिन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाकपा माले जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, आज देश के हालात जिस तरह से बन गए हैं ऐसे में शहीदे आज़म भगत सिंह के विचार और भी प्रासंगिक हो गए हैं। शहीदेआजम भगत सिंह की यह उक्ति मोदी सरकार के पर बिल्कुल सटीक बैठती है कि, जो सरकार जनता के बुनियादी अधिकारों पर हमला करे उसके लिए जनता का बुनियादी अधिकार व कर्तव्य बनता है कि ऐसी सरकार को उखाड़ फेंके।
उन्होंने कहा कि, युवाओं के सपनों को पेपर लीक के माध्यम से ध्वस्त किया जा रहा है, सरकारी खजाने की लूट, महिलाओं- दलितों- अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले, बढ़ती मंहगाई, बेरोजगारी और आमजन के अधिकार पर बढ़ते हमले के साथ जनता के बीच तीखा धार्मिक विभाजन पैदा करना इस सरकार की पहचान बन गए हैं। मजदूर, किसान, बेरोजगार, छात्र, युवा, महिलाएं, छोटे मझोले व्यवसाई व समाज के सभी कमजोर हिस्से अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं।
काँग्रेस के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष इन्दर पाल आर्य ने कहा कि, शहीद भगत सिंह जैसे महान शहीदों के बलिदानों बल पर ही आज हम खुली हवा में साँस ले पा रहे हैं। उनके दिखाए गए रास्ते पर एकजुटता के साथ चलते हुए ही हम अपना अधिकार हासिल कर सकते हैं। हम एक मुट्ठी बनकर काम करेंगे तो सरकार को सुनना पड़ेगा।
डा उर्मिला रैस्वाल ने कहा कि, शहीदे आज़म भगत सिंह के विचार बराबरी पर आधारित नए भारत के निर्माण के लिए हमारे प्रेरणा का स्रोत हैं। भेदभाव रहित, समानता पर आधारित समाज का भगत सिंह का सपना पूरा करना आज और भी जरूरी हो गया है। इसलिये पूंजीपतियों के अकूत मुनाफे के लिए नहीं बल्कि मजदूर किसानों मेहनत करने वालों के पक्ष में नीतियां बनाने वाली व्यवस्था की जरूरत है।
विमला देवी ने कहा कि, आज के दौर में जिस तरह से धार्मिक, जातीय विभाजन तेजी से बढ़ रहा है, महिलाओं के शोषण उत्पीड़न की घटनाएँ बढ़ रही हैं ऐसे में शहीदे आज़म भगत सिंह के विचारों पर आधारित समाजवादी व्यवस्था बनाए जाने की प्रासंगिकता किसी भी समय की तुलना में और भी अधिक बढ़ गई है।
42 वें दिन के धरने में डा कैलाश पाण्डेय, डा उर्मिला रैस्वाल, इन्दर पाल आर्य, विमला देवी, गोपाल सिंह बिष्ट, चन्दन सिंह मटियाली, हेमा आर्य, दीवान सिंह बर्गली, कैलाश, हरक सिंह बिष्ट, परवेज, सोहन लाल, विमला, दुर्गा देवी, भोला सिंह, दीपा, हीरा देवी, हेमा आर्य, मंजू सिंह, गीता देवी, राधिका, हरीश, सरोज, पुष्पा, रेखा रानी, दीपा देवी, महेश राम, रेशमा, अनीता आदि मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / अनुपम गुप्ता
