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आग से नष्ट हुए बीजों पर बीमा कंपनी को 26.56 लाख रुपये अदा करने के आदेश

jodhpur

जोधपुर, 27 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । राज्य उपभोक्ता आयोग जोधपुर पीठ ने बीमा कंपनी यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस की अपील खारिज करते हुए पाली जिला आयोग का निर्णय बरकरार रखा है। आयोग ने उपभोक्ता सरस प्रोडक्ट, सोजत सिटी को आग से हुए नुकसान की भरपाई में 26 लाख 56 हजार 500 रुपए मय 6 प्रतिशत ब्याज, 2 लाख रुपये मानसिक संताप व 25 हजार रुपये वाद व्यय अदा करने के आदेश बीमा कंपनी को दिए हैं।

आयोग के समक्ष यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने जिला आयोग पाली द्वारा दिए गए आदेश के विरुद्ध अपील प्रस्तुत कर बताया था कि उपभोक्ता सरस प्रोडक्ट सोजत सिटी द्वारा बीमा कंपनी से फरवरी 2016 में फायर पॉलिसी एक करोड़ 5 लाख रुपये की ली थी। जून 2016 की रात को परिवादी की फैक्ट्री में आग लग गई जिसमें सोनामुखी फली सोनामुखी बीज एवं सोनामुखी एक्स्ट्रक्शन ग्रेड का माल जल गया। फायर ब्रिगेड द्वारा आग पर काबू पाया गया। गोदाम में 26 लाख 56 हजार 500 रुपये का माल जल गया।

बीमा कंपनी को सूचना देने के पश्चात सर्वेयर ने 5 लाख 85 हजार रुपए का नुकसान माना। परिवादी ने जिला आयोग पाली में परिवाद प्रस्तुत किया। आयोग ने परिवाद स्वीकार कर परिवादी को हुए नुकसान की राशि देने का आदेश पारित किया। जिला आयोग के आदेश के विरुद्ध बीमा कंपनी में राज्य उपभोक्ता आयोग जोधपुर पीठ में अपील प्रस्तुत कर जिला आयोग के निर्णय को ख़ारिज करने की प्रार्थना की।

आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र कच्छवाहा, सदस्य लियाकत अली के समक्ष बीमा कंपनी ने अपील में बताया कि सर्वेयर द्वारा क्षति का सही आंकलन किया गया है। आयोग के समक्ष दोनों पक्षों द्वारा विभिन्न न्यायिक दृष्टांत प्रस्तुत किए गए। आयोग द्वारा समस्त दस्तावेजों का अवलोकन करने के पश्चात अपने विस्तृत निर्णय में कहा कि सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में क्षति 585000 किस आधार पर आंकी गई, फायर ब्रिगेड की रिपोर्ट भी अभिलेख पर मौजूद है। आग बुझाने में 24 घंटे का समय लगा परिवादी ने अपनी लेखा रिपोर्ट भी प्रस्तुत किया, जिसमें ओपनिंग व क्लोजिंग स्टॉक भी दर्ज है।

सर्वेयर ने कुल स्टॉक 9910101 मानते हुए अग्निकांड के बाद शेष बचे माल की कीमत 7254101 मानते हुए कुल माल की कीमत में से घटा कर घटाने पर 26 लाख 56000 की क्षति आंकी, तथा बचे हुए माल की कीमत 24 रुपए प्रति किलो मानते हुए क्षति की गणना करते हुए मात्र 585000 रुपए क्षति होना माना है।

आयोग ने अपने विस्तृत निर्णय में कहा कि बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को उसके दावे का निर्धारण सही तरीके से नहीं किया जाना सेवा दोष की श्रेणी में आता है। बीमा कंपनी की ओर से अधिवक्ता अनीश अहमद तथा उपभोक्ता की ओर से महेंद्र पारीक ने पक्ष रखा।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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