Assam

असम के बीटीसी चुनावों में बीपीएफ को पूर्ण बहुमत

असमः मीडिया को संबोधित करते बीपीएफ प्रमुख हग्रामा महिलारी। फाइल फोटो

– बीपीएफ ने जीतीं 28 सीटें, यूपीपीएल को 7 और भाजपा को 5 सीटें

कोकराझार, 27 सितंबर (Udaipur Kiran News) । असम के बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (बीटीसी) चुनावों में बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के पक्ष में भारी जनादेश आया है, पार्टी ने चुनावों में 40 में से 28 सीटें जीतकर बाजी मारी है। वहीं सत्ताधारी पार्टी यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) 7 सीटें जीतने में सफल रही, जबकि प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 5 सीटें ही मिलीं।

26 सिंतबर की सुबह से ही मतों की गिनती आरंभ हुई, जो शनिवार दोपहर तक अंतिम परिणाम सामने आये। बीपीएफ के अध्यक्ष हग्रामा महिलारी देबरगांव सीट से चुनाव जीत गये वहीं दूसरी सीट चिरांग दुआर्स से चुनाव हार गये। यूपीपीएल अध्यक्ष प्रमोद बोडो गोइबारी से जहां चुनाव जीत गये वहीं दूसरी सीट दोतमा से चुनाव हार गये। बोड़ोलैंड के दोनों प्रमुख नेता दो-दो सीटों से चुनाव लड़े थे।

यह भारी जीत पूर्व बीटीसी प्रमुख हग्रामा मोहिलरी के राजनीतिक पुनरुत्थान का प्रतीक है, जो पांच साल के निर्वासन के बाद उनकी वापसी का संकेत है। बोडो हृदयभूमि में कई लोगों के लिए, यह परिणाम केवल संख्या का मामला नहीं है, बल्कि पहचान, स्वशासन और सामुदायिक विश्वास का एक शक्तिशाली दावा है।

भ्रष्टाचार के पिछले आरोपों के बावजूद, मोहिलारी के नेतृत्व को बोडोलैंड की स्वायत्तता की रक्षा के लिए व्यापक रूप से याद किया जाता है। उनके कार्यकाल के दौरान, निर्णय लेने का अधिकार मुख्यतः बीटीसी के पास ही रहा, जिससे दिल्ली और दिसपुर दोनों के अनुचित हस्तक्षेप का विरोध हुआ। इसके ठीक विपरीत, यूपीपीएल के नेतृत्व वाले प्रशासन के पिछले पांच वर्षों को राज्य और केंद्र सरकारों को सत्ता का आउटसोर्सिंग माना गया- एक ऐसा कदम जिसने स्वदेशी बोडो लोगों में असंतोष को और भड़काया।

मतदाताओं की भावनाओं को प्रभावित करने वाले मुख्य मुद्दे राजनीति से परे थे। कॉर्पोरेट परियोजनाओं के लिए भूमि आवंटन और बाहरी अतिक्रमण की आशंकाओं ने निवासियों में असुरक्षा की भावना को बढ़ावा दिया, जिन्होंने अपनी जमीन और पहचान को दांव पर लगा दिया।

यूपीपीएल ने जहां विकास परियोजनाओं और भाजपा के साथ अपने गठबंधन पर ज़ोर दिया, वहीं मोहिलारी और बीपीएफ ने मतदाताओं के साथ गहरी पैठ बनाई। उनका अभियान सम्मान, स्वायत्तता और बोडोलैंड के गौरव को बहाल करने के वादे पर केंद्रित था। रैलियों में, मोहिलारी ने पूरे विश्वास के साथ 25 सीटों की जीत की भविष्यवाणी की। एक ऐसी भविष्यवाणी जिसे मतदाताओं ने खुद पूरा किया।

बोडो के गढ़ से संदेश जाेरदार और स्पष्ट है। बीपीएफ के नेतृत्व में, बीटीसी शासन की बागडोर बोडो हाथों में ही रहेगी। ———————-

(Udaipur Kiran) / अरविन्द राय

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