
नई दिल्ली, 26 सितंबर (Udaipur Kiran News) । दिल्ली में तीन दिवसीय गरबा उत्सव (ग्लोबल गरबा फेस्टिवल) का आगाज शुक्रवार शाम नई दिल्ली स्थित सुंदर नर्सरी में हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली सरकार में पर्यटन, कला और संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा उपस्थित रहे।
दिल्ली सरकार के पर्यटन विभाग के सहयोग से इस आयोजन में परंपरा, संगीत और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम देखने को मिला। दिल्ली सरकार की यह पहल समृद्ध संस्कृति को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने का महत्वपूर्ण प्रयास है।
आज के कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि कपिल मिश्रा ने की और उन्होंने गुजराती संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में प्रसिद्ध कथावाचक इन्द्रेश उपाध्याय और गायिका गीता झाला जैसी प्रसिद्ध हस्तियों ने अपनी प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पारंपरिक गरबा और लोक नृत्य के रंग-बिरंगे कार्यक्रमों ने सांस्कृतिक जश्न का आनंद और भी बढ़ा दिया।
मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि दिल्ली पर्यटन इस नवरात्रि उत्सव का अहम साझेदार है। इस बार दिल्ली सरकार भव्य स्तर पर कई सांस्कृतिक आयोजनों का आयोजन कर रही है, जिसमें युवाओं और छात्रों के लिए विशेष नवरात्रि उत्सव शामिल है। यह आयोजन पहली बार दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस के रग्बी ग्राउंड में 27 और 28 सितंबर को आयोजित किया जा रहा है और यह दिल्ली के सांस्कृतिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने वाला है।
कपिल मिश्रा ने बताया कि इस उत्सव में 40 देशों के राजदूत भी शामिल हो रहे हैं, जिससे नवरात्रि उत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप मिलेगा। गरबा, डांडिया और विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से दिल्ली की सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिकता का अनूठा संगम देखने को मिलेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार और संस्कृति विभाग का उद्देश्य है कि दिल्ली युवाओं के लिए एक ऐसा सांस्कृतिक केंद्र बने, जहां परंपरा और ऊर्जा का संगम एक साथ नजर आए।
यह भव्य उत्सव 26 से लेकर 28 सितंबर 2025 तक चलेगा जिसमें पारंपरिक और आधुनिक संगीत और नृत्य के अद्भुत संयोजन के माध्यम से गुजराती संस्कृति का जश्न मनाया जा रहा है।
इस गरबा उत्सव का उद्देश्य दिल्ली सरकार के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहुंच बढ़ाना, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना और राष्ट्रीय राजधानी में सुंदर नर्सरी को एक प्रमुख सांस्कृतिक इवेंट हब के रूप में स्थापित करना है। यह आयोजन न केवल गुजराती संस्कृति का जश्न है बल्कि दिल्ली की विविध सांस्कृतिक पहचान और वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका को भी उजागर करता है।
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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव
