
शिमला, 26 सितंबर (Udaipur Kiran News) । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने क्यूएफएक्स/वाईएफएक्स/बॉटब्रो प्लेटफार्मों के जरिये किए गए बड़े निवेश घोटाले में आरोपियों पर शिकंजा कस दिया है।
ईडी चंडीगढ़ ज़ोनल कार्यालय ने
कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के रहने वाले मुख्य एजेंट नवाब हसन को मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) 2002 के तहत गिरफ्तार किया है। अदालत ने उसे 9 दिन की ईडी कस्टडी पर भेज दिया है। नवाब हसन पर निर्दोष लोगों को झूठे सपने दिखाकर करोड़ों रुपये जुटाने और उन्हें क्यूएफएक्स (QFX), वाईएफएक्स (YFX), बॉटब्रो, बॉटअल्फा, क्रॉसअल्फा और माइनक्रिप्टो जैसे फर्जी निवेश प्लेटफॉर्म के जरिए ठगने का आरोप है। आरोपी ने हिमाचल के कई लोगों को ठगी का शिकार बनाया है।
ईडी ने जांच की शुरुआत हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और असम में दर्ज कई एफआईआर के आधार पर की थी। जांच में सामने आया कि यह पिरामिड स्कैम कई राज्यों में फैला हुआ है। लोगों को रोबोट और एआई बॉट के ज़रिए फॉरेक्स ट्रेडिंग का झांसा देकर 5 से 6 प्रतिशत मासिक रिटर्न का लालच दिया जाता था। शुरुआत में पेमेंट एग्रीगेटर्स और बाद में वर्चुअल करेंसी यूएसडीटी (USDT) के माध्यम से निवेश राशि जुटाई जाती थी। कुछ समय बाद निवेशकों की आईडी ही डिलीट कर दी जाती थी और भुगतान रोक दिया जाता था। इस तरह जुटाई गई रकम दुबई भेजी जाती थी, जहां इसे संपत्तियां खरीदने और आलीशान जीवन जीने पर खर्च किया जाता था।
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि नवाब हसन ‘ब्लू डायमंड एक्जीक्यूटिव’ के रैंक पर काम कर रहा था और उसके अधीन 10 हजार से अधिक निवेशक जुड़े थे। वह नकद और ऑनलाइन निवेश जुटाकर दुबई स्थित मास्टरमाइंड लविश चौधरी उर्फ नवाब और उसके सहयोगियों तक पहुंचाता था। पूछताछ में नवाब ने माना है कि असल में कोई फॉरेक्स ट्रेडिंग कभी हुई ही नहीं, बल्कि निवेशकों की डैशबोर्ड पर दिखाई देने वाली राशि केवल दिखावे की थी। नए निवेशकों से जुटाई गई रकम से पुराने निवेशकों को भुगतान किया जाता था।
ईडी के अधिकारियों के अनुसार नवाब हसन कई बार दुबई जाकर मास्टरमाइंड लविश चौधरी से मिलता रहा है और फिर से यात्रा की योजना बना रहा था। वह ज़ूम मीटिंग्स में भी शामिल होता था, जहां नए निवेशकों को भरोसा दिलाने के लिए लविश चौधरी के साथ बैठकों का आयोजन किया जाता था। इससे पहले शामली स्थित उसके घर से 94.23 लाख रुपये की अवैध कमाई (POC) बरामद की जा चुकी है।
ईडी की कार्रवाई इस बड़े घोटाले में चल रहे लगातार अभियान का हिस्सा है। हाल ही में 17 सितंबर को ईडी ने टॉप एजेंट हरिंदर पाल सिंह को गिरफ्तार किया था, जिसने पूछताछ में नवाब हसन की पहचान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख एजेंट के रूप में की थी। इससे पहले 26 अगस्त को ईडी ने 9.49 करोड़ रुपये की प्राविजनल अटैचमेंट ऑर्डर जारी करते हुए 45 अचल संपत्तियों को जब्त किया था। वहीं 11 फरवरी और 4 जुलाई 2025 को की गई तलाशी में 185 बैंक खातों में 391 करोड़ रुपये की ठगी की राशि जब्त या अटैच की गई थी। यह खाते क्यूएफएक्स ट्रेड लिमिटेड, एनपे बॉक्स प्राइवेट लिमिटेड, कैप्टर मनी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, रैनेट टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, किंडेंट बिजनेस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, मोल बिजनेस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड और टाइगर डिजिटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों के नाम पर थे।
धारा 19(1) पीएमएलए, 2002 के तहत हुई इस गिरफ्तारी के बाद ईडी अब पूरे पैसों के ट्रेल को पकड़ने, बाकी लाभार्थियों और दुबई में सक्रिय लोगों की पहचान करने और अवैध कमाई को सुरक्षित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
