
–भारत पंडित दीनदयाल के सिद्धांतों का करें अनुसरण: डॉ. बिजेंद्र सिंह
अयोध्या, 25 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संत कबीर सभागार में पं दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ द्वारा अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के अकादमिक सहयोग से एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी विकसित भारत@ 2047 एवं पं.दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद दर्शन पर आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पूर्व कुलपति बीबीएयू लखनऊ प्रो. एनएनपी वर्मा ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने जीवन के संघर्षों से पूरे साहस के साथ मुकाबला करते हुए सफलता प्राप्त की और हमारे प्रेरणा स्तोत्र बने। प्रो. वर्मा ने बताया कि भारत सरकार ने और उत्तर प्रदेश सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांतों से प्रेरणा लेकर जो विभिन्न योजनाएं लागू की है उनमें निश्चित रूप से गरीबों, किसानों, महिलाओं का सर्वांगीण विकास होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति कर्नल डॉ. बिजेंद्र सिंह ने किया। कुलपति ने पंडित दीनदयाल को अंत्योदय के प्रेणता बताते हुए कहा कि भारत सही मायने में तब भारत विकसित बन पाएगा जब अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का उद्धार होगा। भारत को सही मायने में विकसित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पंडितजी के सिद्धांतों का अनुसरण करना होगा।
कार्यक्रम के संयोजक तथा शोध पीठ के समन्वयक प्रो. आशुतोष सिन्हा ने अपने उद्बोधन में बताया कि यदि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना है तो केवल 30 ट्रिलियन अमेरिकन डॉलर के लक्ष्य को ही नहीं प्राप्त करना होगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होगा की समस्त वर्गों महिला, युवा, किसान का समावेशी विकास हो, भारत तभी आत्मनिर्भर बनेगा। उन्होंने कहा पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन के सिद्धांत के अनुसरण किए बिना यह संभव नहीं है! एकात्म की संकल्पना के अनुसार शरीर मन बुद्धि एवं आत्मा के संतुलित विकास को करना होगा। जो धर्म के अनुसार अर्थ एवं काम के संतुलन से मोक्ष की प्राप्ति करायेगा। ऐसी व्यवस्था में व्यक्ति समाज से, समाज राष्ट्र से, राष्ट्र से विश्व और विश्व से ब्रह्मांड एवं ब्रह्मांड से परमात्मा से से जुड़ेगा ऐसी व्यवस्था में सभी जन इस विकास यात्रा में शामिल होंगे और तभी सही मायनों में 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य प्राप्त कर पायेगा।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. प्रिया कुमारी ने तथा स्वागत सम्मान सहसंयोजक प्रो मृदुल मिश्रा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव ने किया। संगोष्ठी की आयोजन समिति की सदस्य डॉ सरिता द्विवेदी, डॉ अलका श्रीवास्तव, डॉ रीमा सिंह ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षकगण में प्रो संत शरण मिश्र, प्रो सुधीर कुमार श्रीवास्तव, प्रो शैलेंद्र कुमार, प्रो सुरेंद्र मिश्रा, डॉ मीनू वर्मा, डॉ श्याम बहादुर, डॉ. अखंड प्रताप सिंह, नवीन मणि त्रिपाठी, डॉ प्रतिभा सिंह, डॉ सौम्या, डॉ. रचना श्रीवास्तव एवं बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रही।
(Udaipur Kiran) / पवन पाण्डेय
