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चारदीवारी में हुए अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के आदेश, निगम उपायुक्त पर भी कार्रवाई के आदेश

हाईकाेर्ट

जयपुर, 25 सितंबर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर की चारदीवारी के भीतर हुए अवैध निर्माणों पर कार्रवाई के बजाए नगर निगम की ओर से समय-समय पर सिर्फ नोटिस जारी करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि जिन भवन मालिकों को अवैध निर्माण के नोटिस जारी किए जा चुके हैं, उन बिल्डिंगों को स्थाई रूप से सील कर दो माह में ध्वस्त करने की कार्रवाई पूरी की जाए। अदालत ने निगम आयुक्त को कहा है कि संबंधित उपायुक्त और जिन अधिकारियों से नोटिस देने के बाद कार्रवाई नहीं की, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाए। अदालत ने कहा है कि यदि इन अफसरों को तबादला भी हो चुका है तो डीएलबी सचिव आदेश की पालना सुनिश्चित करें। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने यह आदेश जितेन्द्र कुमार साधवानी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

अदालत ने कहा कि नगर पालिका अधिनियम के प्रावधानों के तहत निगम के अधिकारियों के पास कार्रवाई करने की शक्तियां हैं। इसके बावजूद उन्होंने समय-समय पर अंतिम नोटिस के नाम पर कागजी कार्रवाई की और उसके बाद प्रभावी कदम नहीं उठाया। अदालत ने कहा कि नगर निगम की ओर से प्रभावी कदम नहीं उठाने से पूरी चारदीवारी के भीतर अवैध इमारतें बन गई हैं। अवैध बिल्डिंग पूरे शहर और समाज के लिए खतरा बन गई है और इसने चारदीवारी के विरासत मूल्यों को बर्बाद कर दिया है। वहीं निगम की इस कार्यप्रणाली से अन्य लोग भी अवैध निर्माण के लिए प्रोत्साहित होते हैं। ऐसे में अधिकारियों को इन अवैध निर्माणों पर आंख मूंदकर बैठने और नोटिस जारी करने के छह माह बाद भी ढिलाई बरतने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संजय जोशी ने कहा कि शहर के परकोटे के भीतर युद्ध स्तर पर अवैध निर्माण हो रहे हैं। भवन मालिकों ने न तो नगर निगम से निर्माण की स्वीकृति ली है और ना ही नक्शे पास कराए हैं। वहीं कई लोगों ने अपने रिहायशी मकानों को तोडकर बिना पार्किंग छोडें बहुमंजिला व्यावसायिक निर्माण कर लिए हैं। इस संबंध में निगम में कई बार शिकायत की, लेकिन निगम ने उन्हें छह माह के अंतराल में सिर्फ नोटिस जारी किए। जिसके चलते भवन मालिक ने निर्माण पूरा कर लिया। वहीं निगम की ओर से जवाब पेश कर माना गया कि अवैध निर्माण करने वालों को नोटिस जारी किए गए थे। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अवैध निर्माण ध्वस्त करने और दोषी अफसरों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

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(Udaipur Kiran)

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