जम्मू,, 25 सितंबर (Udaipur Kiran News) । श्रीनगर की निगीन और झेलम झीलों पर अब वह हलचल नहीं है जो कभी पर्यटकों की हँसी और उत्साह से गूंजती थी। खूबसूरत हाउसबोट्स जो कभी कश्मीर की आतिथ्य पर गर्व का प्रतीक थे अब खाली तैर रही हैं और उनके मालिक अप्रैल में पाहलगाम हुए आतंकी हमले के बाद जीवनयापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
प्रसिद्ध हाउसबोट मालिक मोहम्मद याकूब डंगू ने कहा कि यह अब तक का सबसे कठिन समय है जो मैंने देखा है। 22 अप्रैल से अब तक मेरे पास केवल एक बुकिंग आयी वह भी मात्र 1,500 रुपये की। पहले की तुलना में अब कुछ भी नहीं है। उन्होंने बताया कि उनका परिवार गहरे संकट में है। उनके तीन बच्चे और उनके भाई के दो बच्चे हैं। वे स्कूल की फीस तक नहीं चुका पा रहे।
डंगू ने कहा कि हाउसबोट्स की वार्षिक देखभाल महंगी होती है। प्रत्येक हाउसबोट की मरम्मत और कैलकिंग पर कम से कम 1.2 लाख रुपये सालाना खर्च होते हैं। अभी तो हम अपने रोज़मर्रा के खर्च भी नहीं चला पा रहे।
कश्मीर हाउसबोट ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मन्ज़ूर अहमद पक्थून ने कहा कि 3,000 से अधिक कमरों वाली 750 हाउसबोट्स में से केवल 30-40 ही वर्तमान में व्यस्त हैं। बाकी खाली हैं। कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है और परिवारों के पास कोई आय नहीं है।
एक दुकानदार ने कहा कि शिकारा ऑपरेटर्स और डल झील के आसपास के दुकानदार भी प्रभावित हैं। “कोई पर्यटक नहीं है तो न सवारी, न खरीदार। पर्यटन से जुड़े सभी लोग विक्रेता, कारीगर संकट में हैं ।
सरकार द्वारा सुरक्षा कारणों से 46 पर्यटन स्थलों को बंद करने का निर्णय भी पर्यटन गिरावट में एक कारण बना। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसे विपरीत प्रभाव वाला बताया था।
इतिहास में कश्मीर पर्यटन क्षेत्र के लिए कई त्रासद घटनाएँ रही हैं। 1995 में पाहलगाम में विदेशी पर्यटकों का अपहरण हुआ, 2000 में अमरनाथ यात्रा पर हमला हुआ, 2017 में आठ यात्रियों की हत्या हुई और 2025 में पाहलगाम हमले में 25 से अधिक पर्यटक और एक स्थानीय गाइड मारे गए।
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(Udaipur Kiran) / अश्वनी गुप्ता
