Madhya Pradesh

मप्र हाईकोर्ट ने गलत डीएनए रिपोर्ट देने वाली महिला साइंटिस्ट को टेस्टिंग जिम्मेदारी से मुक्त करने के दिये आदेश

गम्भीर आरोपों के चलते  टीकमगढ़ जिला एवं सत्र न्यायाधीश एचएस सिसोदिया निलंबित

जबलपुर, 25 सितंबर (Udaipur Kiran News) । मप्र हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनीन्द्र कुमार सिंह की डिवीजन बेंच ने पॉक्सो से जुड़े मामले में डीएनए सेम्पल की गलत डीएनए रिपोर्ट देने वाली एफएसएल भोपाल की महिला साइंटिस्ट डॉ. सुजाता गौतम को टेस्टिंग की जिम्मेदारी से मुक्त करने के आदेश दिए हैं। बेंच ने कहा है डॉ. गौतम को रिफ्रेशर कोर्स करना होगा उसके बाद ही उन्हें टेस्टिंग पर लगाया जाए। कोर्ट ने कहा कि महिला साइंटिस्ट द्वारा की गईं गलतियां पीड़ित के अलावा आरोपी के जीवन के साथ खिलवाड़ कर सकती हैं।

मामले पर आगे हुई सुनवाई के दौरान डॉ. गौतम के शपथपत्र और रिपोर्ट का अवलोकन करके बेंच ने कहा कि उन्होंने अपनी गलती तो स्वीकार की है, लेकिन सिर्फ गलती मान लेना पर्याप्त नहीं है। डॉ. गौतम के खिलाफ निर्देश जारी करके बेंच ने यहां तक कहा कि भविष्य में किए गए सभी परीक्षणों की रिपोर्ट को किसी अन्य वैज्ञानिक द्वारा दोबारा जांचा जाए और उनके हस्ताक्षर के बाद ही अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा।

डिवीजन बेंच ने ये निर्देश डिण्डौरी जिले के गाडरवारा थानांतर्गत ग्राम गोरखपुर में रहने वाले मो. रहमान कुरैशी की अपील पर दिए। दरअसल, मो. रहमान कुरैशी को डिण्डौरी की विशेष अदालत ने 7 अप्रैल 2025 को पॉक्सो एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले को चुनौती देकर यह अपील दाखिल की गई। मामले पर 11 सितंबर को सुनवाई के दौरान बेंच ने पीड़िता के डीएनए सैम्पल की एफएसएल भोपाल द्वारा दी गई रिपोर्ट में खामियां पाते हुए वहां की साइंटिस्ट डॉ. सुजाता गौतम को 12 सितंबर को हाजिर होने कहा था। 12 सितंबर को हाजिर हुईं डॉ. गौतम ने स्वीकार किया कि उनसे गलती हुई है। इस पर बेंच ने उन्हें माफीनामे के साथ नई रिपोर्ट पेश करने कहा था।

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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

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