
गुमला, 24 सितंबर (Udaipur Kiran News) । डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा है झारखंड से दिसंबर तक नक्सलियों का सफाया हो जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में अब नक्सली थोड़े से बच गए हैं। बचे हुए नक्सली और उग्रवादी 2026 का सूरज नहीं देख पाएंगे। अब उनके पास एक ही रास्ता बचा है कि वे या तो समर्पण कर झारखंड पुलिस की आत्मसमर्पण और पुनर्वास योजना का लाभ उठाएं या फिर गोली खाने के लिए तैयार रहें। डीजीपी बुधवार को पुलिस सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने पुरे आत्मविश्वास के साथ मुठभेड़ में शामिल पुलिस बल की सराहना करते हुए नक्सली और उग्रवादियों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान की चर्चा की। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान अब तक 32 टॉप नक्सली और उग्रवादी मारे जा चुके हैं। हम उन्हीं की भाषा और लहजे में जवाब दे रहें हैं। साथ ही मारे गये नक्सलियों की तुलना में तीन गुणा नक्सली और उग्रवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। अब 12 सप्ताह हमारे पास हैं तो 12 टॉप नक्सलियों का मरना भी तय है। डीजीपी ने कहा कि अब राज्य में 30-40 ही टॉप नक्सली और उग्रवादी बचे हुए हैं। गुप्ता ने नक्सलियों के लिए सरकार की घोषित आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति को देश का सर्वोतम आत्मसर्पण नीति बताया। उन्होंने कहा कि यहां की पुनर्वास नीति कागजी नहीं है, यह जमीनी स्तर पर दिखाई भी पड़ती है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां यदि किसी नक्सली पर एक करोड़ का ईनाम है और वह सरेंडर करता है तोवह एक करोड़ रूपया भी उसी को मिलेगा। इसके अलावा उनके पुनर्वास की समुचित व्यवस्था भी की जाती है। जिसमें उनके रहने,ओपन जेल,फ्री में कानूनी सहायता,बच्चों की शिक्षा देना शामिल है। उन्होंने पुलिस को मिल रही सफलता की जानकारी देते हुए कहा कि राज्य में सक्रिय सभी नक्सलियों का डोजियर बना हुआ है। जिसमें उनके फोटोग्राफ, मोबाईल नंबर, रिश्तेदार सहित सारी जानकारी है। स्पेशल ब्रांच में एक विंग सिर्फ नक्सलियों और उग्रवादियों की मॉनिटरिंग करता है। जब बढ़ियां इंटेलिजेंस और जांबाज जवान हमारे पास हैं तो उनका खात्मा तो निश्चित रूप से होना है। उन्होंने प्रतिबंधित मादक पदार्थों के कारोबार और इसमें स्कूली बच्चों और युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृति पर गहरी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि ड्रग का कारोबार कैंसर की तरह फैल रहा है। इस पर पुरी तरह अंकुश लगाने के लिए पुरे नेटवर्क के जड़ तक जाना होगा। डीजीपी ने कहा कि मादक पदार्थों की उपलब्धता पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस प्रशासन पुरी तरह प्रतिबद्ध है। मगर हमारे देश के भविष्य युवाओं को नशे के गर्त से बाहर निकालने के लिए जनसहयोग की भी बहुत जरूरत है। इसके लिए स्कूलों सहित अन्य स्थानों पर सघन अभियान चलाये जाने की जरूरत है। देखा गया है कि जो लोग ब्राउन शुगर का सेवन करते हैं, मगर पैसा नहीं रहने पर वही लोग इस धंधे में पेडलर की भूमिका में आ जाते हैं। स्कूल के आसपास छोटे-छोटे दुकानों पर कड़ी निगरानी होनी चाहिए।मौके पर डीजीपी अनुराग गुप्ता के अलावा आईजी (ऑपरेशन) माइकल राज, डीआईजी अनुप विरथरे, जगुआर को आईजी इंद्रजीत महथा, पुलिस अधीक्षक हरिस बिन जमां सहित अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद थे।
—————
(Udaipur Kiran) / हरि ॐ सुधांशु सुधांशु
