Uttar Pradesh

त्योहारों पर हर नागरिक स्वदेशी उत्पादों का ही उपहार दें : सुनील देवधर

सुनील देवधर कक़्क़ सम्मान करते भाजपाइयों का छायाचित्र

कानपुर, 24 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । यह स्वदेशी और अपना स्थापित रोजगार ही है। प्रदेश में ओडीओपी और वोकल फॉर लोकल अभियान से लाखों शिल्पकारों को रोजगार मिला है। इनको और समृद्ध करने के लिए त्योहारों पर हर नागरिक स्वदेशी उत्पादों का ही उपहार दें। पूर्व काल में मुगल भारत को लूटने नहीं इस्लाम को फैलाने आए थे। आजादी से पूर्व ब्रिटिश सरकार देश को लूटने नहीं ईसाई समाज को बढ़ावा देने आए थे। यह बातें बुधवार को भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय मंत्री एवं आंध्र प्रदेश के सह प्रभारी सुनील देवधर ने कही।

केशव नगर स्थित भाजपा मुख्यालय में अंत्योदय के प्रणेता, महान विचारक और एकात्म मानव दर्शन के प्रखर वक्ता पं दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर दक्षिण जिले द्वारा आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि सुनील देवधर ने कहा कि उपाध्याय का हिन्दू चिंतन ही एकात्म मानव दर्शन है। उन्होंने युवाओं से सीधा संवाद करते हुए तरक्की का सूत्र बताया। उन्होंने दीनदयाल के जीवन परिचय, राजनैतिक सक्रियता, विचारधारा, एकात्म मानव दर्शन एवं अंत्योदय के बारे कार्यकर्ताओं को बताया। कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एकात्मक मानव दर्शन व अंत्योदय के दीनदयालजी के सपनों को पूर्णता प्राप्त हो रही है। पीएम मोदी की अगुवाई में भारत अपने सांस्कृतिक मूल्यों का राष्ट्रीय चेतना के प्रति गौरव भाव के साथ पूरे विश्व में आज अगवा की भांति सिर उठाए खड़ा है।

देश आज 140 करोड़ नागरिकों की आकांक्षाओं, अपेक्षाओं व स्वप्न की पूर्ति के संकल्प की ओर भी सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। भारत आज अपने प्राचीन ज्ञान, आस्था के मूल्य व सनातन के संकल्प को भी आत्मसात कर रहा है और चंद्रमा पर पहुंचकर विज्ञान के नए मापदंडों को भी स्थापित कर विश्व को चौंका रहा है। पं दीनदयाल देश या समाज की आर्थिक प्रगतिक का मापदंड समाज के अंतिम व्यक्ति की स्थिति के आधार पर आंकने के समर्थक थे। दीनदयाल ने पूरा जीवन अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की सहायता के लिए समर्पित किया। वही काम पीएम नरेंद्र मोदी आम जनों के लिए कर रहे हैं। एकात्म मानववाद पर पं दीनदयाल की क्या सोच और उस पर अमल कर किस प्रकार समाज के अन्तिम व्यक्ति को लाभ पहुँचाया जा सकता है, इस बारे में भी चर्चा हुई।

अंत्योदय पं. दीनदयाल उपाध्याय का अनंतिम शब्द है। दीनदयाल चाहते थे कि आर्थिक योजना और प्रगति का माप समाज में ऊपर की सीढ़ी पर पहुंचे व्यक्ति से नहीं बल्कि सबसे नीचे के स्तर पर उपस्थित व्यक्ति से होना चाहिए। यह हमारा मानव धर्म है। पंडित जी की इसी बात पर अमल करते हुए मोदी सरकार अपनी नीतियों, व्यवस्थाओं, योजनाओं का ठीक ढंग से क्रियान्वयन कर समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक लाभ पहुँचाने का प्रयास कर रही है।

आगे उन्होंने कहा कि भारत की अर्थ नीति का आधार स्वदेशी मॉडल होना चाहिए। त्योहारी सीजन पर हर भारतीय विदेशी उत्पादों की जगह स्वदेशी सामान खरीदे। इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तो शिल्पकारों को भी रोजगार मिलेगा। पार्टी कार्यकर्ता स्वदेशी अपनाने के लिए बाजारों में सक्रिय होकर जोर शोर से अभियान चलाएं। उन्होंने युवाओं से नौकरी के आकर्षण छोड़ने को कहा। जॉब-सीकर (काम की तलाश वाले) नहीं, क्रिएटर (रोजगार देने वाले) बनें। हम सब ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करें। आत्मनिर्भरता यदि गांव इकाई तक पहुंचेगी तो सब कुछ समृद्ध हो जाएगा।

(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप

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