
नई दिल्ली, 24 सितंबर (Udaipur Kiran News) । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को कहा कि भारतीय परंपरा में कला को लंबे समय से एक आध्यात्मिक साधना माना जाता रहा है। कला न केवल सौंदर्यबोध का माध्यम है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बनाने और एक अधिक संवेदनशील समाज के निर्माण का एक सशक्त माध्यम भी है। राष्ट्रपति बुधवार को अंतरराष्ट्रीय आंबेडकर केन्द्र में ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित 64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रही थी। इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और विश्वास व्यक्त किया कि उनका काम अन्य कलाकारों को प्रेरित करेगा।
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि कलाकार अपने विचारों, दृष्टि और कल्पना के माध्यम से एक नए भारत की छवि प्रस्तुत कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने इस बात पर बल दिया कि कलाकार कला सृजन के लिए अपना समय, ऊर्जा और संसाधन लगाते हैं। उनकी कलाकृतियों का उचित मूल्य कलाकारों और कला को पेशे के रूप में अपनाने के इच्छुक लोगों को प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि ललित कला अकादमी कलाकारों की कलाकृतियों की बिक्री को प्रोत्साहित कर रही है। इससे कलाकारों को वित्तीय सहायता मिलेगी और हमारी रचनात्मक अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने कला प्रेमियों से आग्रह किया कि वे न केवल कलाकृतियों की सराहना करें, बल्कि उन्हें अपने साथ घर भी ले जाएं। उन्होंने कहा कि हम सभी को एक आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति के रूप में भारत की पहचान को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
