
बिल्डिंग सीज मुक्त करने के दिए आदेश
जोधपुर, 24 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । जोधपुर विकास प्राधिकरण ने पांच साल पहले नगर निगम क्षेत्र में एक बिल्डिंग को सीज कर दिया था। इस मामले में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के जस्टिस सुनील बेनीवाल ने जेडीए की कार्रवाई को गलत ठहराया, क्योंकि यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर थी। कोर्ट ने बिल्डिंग को तुरंत सीज मुक्त करने का आदेश दिया है।
इस बिल्डिंग पर मोबाइल टावर लगाने के विरोध को लेकर मिली शिकायत को जेडीए ने पहले तो उचित कार्रवाई के लिए नगर निगम को भेजा। इसके बाद खुद जेडीए ने ही क्षेत्राधिकार के बाहर जाकर उस प्रॉपर्टी को सीज कर दिया, वो भी बिना सुनवाई का मौका दिए। मामला रामनगर योजना में अल्लाबेली खान की बिल्डिंग से जुड़ा है। अल्लाबेली ने 14 नवंबर 2006 को चौपासनी खसरा नंबर 112 पर प्लॉट खरीदा था और अनुमति लेकर घर बनाया था। बाद में एक टेलीकॉम कंपनी ने मोबाइल टावर लगाने के लिए संपर्क किया और एग्रीमेंट हुआ। लेकिन कुछ पड़ोसियों ने निजी कारणों से इसका विरोध किया और जेडीए में शिकायत की। जेडीए ने 25 फरवरी 2020 को यह शिकायत नगर निगम को भेजी, क्योंकि संपत्ति नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आती है।
अल्लाबेली के वकील मनीष पटेल ने कोर्ट में कहा अधिकार क्षेत्र नहीं होने के बावजूद, जेडीए ने खुद ही कार्रवाई करते हुए 17 मार्च 2020 को बिना सुनवाई के नोटिस जारी कर बिल्डिंग को सीज कर दिया। जेडीए ने राजनीतिक प्रभाव के तहत अल्लाबेली के विरुद्ध मामला दर्ज किया।
कोर्ट ने जेडीए की कार्रवाई पर जताई हैरानी
कोर्ट ने जेडीए की इस हरकत पर हैरानी जताई। जस्टिस सुनील बेनीवाल ने कहा कि एक बार क्षेत्र नगर निगम को मिल जाने के बाद शिकायतें उसी के अधिकार में आती हैं, न कि जेडीए के। जेडीए के वकील ने दलील दी कि अल्लाबेली ने पहले सिविल कोर्ट में केस किया था, लेकिन उनके वकील ने बताया कि वह केस वापस ले लिया गया है। न्यायालय ने साफ किया कि एक बार प्रश्नगत क्षेत्र का नगर निगम, जोधपुर को ट्रांसफर हो जाने के बाद, कोई भी शिकायत, चाहे वह अनुमति की शर्तों के उल्लंघन या बिना अनुमति निर्माण के संबंध में हो, पूरी तरह नगर निगम, जोधपुर के क्षेत्राधिकार में आती है, न कि जेडीए के। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दोनों पक्षों की चर्चा के मद्देनजर, रिट पिटीशन स्वीकार की जाती है। 17 अप्रैल 2020 का विवादित आदेश रद्द और निरस्त किया जाता है। इसके साथ ही जेडीए को याचिकाकर्ता की प्रोपर्टी जब्ती खत्म करने का निर्देश दिया जाता है।
(Udaipur Kiran) / सतीश
