
पौड़ी गढ़वाल, 24 सितंबर (Udaipur Kiran News) । मंडल मुख्यालय पौड़ी के श्रीनगर से करीब 13 किलीमीटर की दूरी पर अलकनंदा नदी किनारे कलियासौड़ के पास स्थित मां धारी देवी मंदिर का बड़ा महत्व है। यहां मां के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमडी रहती है। कहा जाता है कि यह मंदिर भारत के 108 शक्तिपीठों में से एक है और यहां मां दक्षिणी काली के रूप में विराजमान हैं। मान्यता है कि मां दिन में तीन अलग-अलग रूपों में दर्शन देती हैं।
नवरात्रों के दौरान यहां भक्तों का सैलाब उमड़ा रहता है। चारधाम यात्रा में जाने वाले श्रद्धालु भी यहां रुककर मां से आशीर्वाद लेते हैं। मंदिर के पुजारी पंडित रमेशचंद्र पांडे और लक्ष्मी प्रसाद पांडे बताते है कि मां धारी देवी सुबह बाल्यावस्था में, दोपहर में युवावस्था में और शाम को वृद्धावस्था में दर्शन देती है।। किंवदंती है कि पांडवों ने स्वर्गारोहण यात्रा के दौरान और आदि गुरु शंकराचार्य ने बदरी-केदार की यात्रा से पहले यहां देवी की आराधना की थी।
कहा जाता है कि एक भीषण बाढ़ में देवी की प्रतिमा बहकर धारी गांव के पास एक चट्टान पर अटक गई थी। जीवीके कंपनी को पावर प्रोजेक्ट की अनुमति मिलने के बाद 2006 में मंदिर को एक अस्थायी स्थान पर स्थानांतरित किया गया है।
2013 की भीषण आपदा के बाद देवी को उसी अस्थायी स्थल पर रखा गया। दस साल बाद जनवरी 2023 में 21 ब्राह्मणों द्वारा विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद मां को उनके मूल स्थान पर फिर से स्थापित किया गया। श्रद्धालुओं का मानना है कि मां का ऊपरी हिस्सा धारी देवी मंदिर में है जबकि निचला हिस्सा कालीमठ में देवी काली के रूप में पूजा जाता है।
(Udaipur Kiran) / कर्ण सिंह
