
काठमांडू, 24 सितंबर (Udaipur Kiran News) । वित्त मंत्रालय ने घोषणा की कि राजनीतिक और सरकारी अधिकारियों को पहले प्रदान की जाने वाली व्यक्तिगत सचिव की सुविधा वापस ले ली जाएगी। हालांकि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सदन के अध्यक्ष, नेशनल असेंबली के अध्यक्ष, प्रांतीय प्रमुखों और संघीय और प्रांतीय सरकारों के मंत्रियों को इससे छूट दी गई है।
इस घोषणा के बाद सांसदों सहित अन्य सभी राजनीतिक पदाधिकारियों को अब सरकार द्वारा वित्त पोषित व्यक्तिगत सचिव सेवाएं नहीं मिलेंगी।
इसके साथ, पूर्व उच्च रैंकिंग अधिकारी जिन्होंने पहले इस तरह की सुविधा का लाभ लिया है, उनके भी विशेषाधिकारों को रद्द कर दिया गया है।
इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने निर्धारित किया है कि प्रत्येक मंत्री और प्रांतीय प्रमुख अपने कार्यालयों के भीतर अधिकतम तीन व्यक्तिगत सचिव नियुक्त कर सकते हैं।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि प्रेस समन्वय कर्तव्यों को अब प्रत्येक सरकारी निकाय के भीतर आधिकारिक प्रवक्ताओं द्वारा संभाला जाएगा, जिससे सरकारी संसाधनों का उपयोग करके पार्टी से संबद्ध पत्रकारों को प्रेस सलाहकार के रूप में नियुक्त करने की प्रथा प्रभावी ढंग से समाप्त हो जाएगी। इसके अतिरिक्त, मंत्रियों और प्रांतीय प्रमुखों के पास व्यक्तिगत सचिवालयों के लिए समर्पित कार्यालय, वाहन या विदेश यात्रा भत्ते नहीं होंगे।
मंत्रालय ने सार्वजनिक संस्थानों में खाली कार्यकारी पदों पर स्थायी सिविल सेवकों को अस्थायी रूप से नियुक्त करने के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।
इसके अलावा, महंगे इलेक्ट्रॉनिक्स और लक्जरी वस्तुओं की खरीद को पूरी तरह से रोक दिया गया है। ऐसे ही सरकार से जुड़े नेताओं द्वारा अपने मतदाता को लुभाने वाले गैस वितरण, साइकिल वितरण, स्वास्थ्य बीमा शुल्क, बिजली भुगतान, हैंडपंप इंस्टॉलेशन और साड़ी वितरण जैसे कार्यक्रमों पर भी रोक लगा दी गई है।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास
