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तिहाड़ जेल से अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रें हटाने की याचिका पर सुनवाई से हाई कोर्ट का इनकार

नई दिल्ली, 24 सितंबर (Udaipur Kiran News) । दिल्ली उच्च न्यायालय ने तिहाड़ जेल से आतंकियों अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रों को हटाये जाने की मांग पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस पर फैसला सरकार को करना है, जो कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए फैसला करेगी।

यह याचिका विश्व वैदिक सनातन संघ नामक संस्था ने दायर की है। याचिका में मांग की गई थी कि तिहाड़ जेल में बनी अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रें हटायी जाएं। जेल परिसर में इन कब्रों का मौजूद होना और उनका बनाए रखना अवैध और असंवैधानिक है। इन कब्रों के होने से तिहाड़ जेल कथित तौर पर कट्टरपंथी तीर्थ स्थल बन गया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता की इस दलील से सहमति जताई कि अफजल गुरु और मकबूल बट्ट की कब्रों को पर्यटन स्थल नहीं बनाया जा सकता है।

याचिका में कहा गया था कि यह दिल्ली प्रिजन रूल्स के प्रावधानों के खिलाफ है। दिल्ली प्रिजन रूल्स के मुताबिक फांसी की सजा पाए कैदियों के शवों का निपटारा इस प्रकार से करना है कि किसी भी तरह से आतंकवाद का महिमामंडन हो और जेल में अनुशासन बना रहे। तिहाड़ जेल में कुछ लोग इन कट्टरपंथी आतंकियों की कब्रों की इबादत करने के लिए एकत्र होते हैं।

याचिका में मांग की गई थी कि इन कब्रों को स्थानांतरित किया जाए और अगर किसी वजह से इन कब्रों को जेल से हटाना संभव न हो, तो उनकी अस्थियों को किसी गुप्त स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाए। इसका उद्देश्य सिर्फ शवों का स्थानांतरण नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि इन कब्रों के जरिये आतंकवाद का महिमामंडन न हो और जेल परिसर का दुरुपयोग नहीं हो।

अफजल गुरु को 2001 में संसद पर हुए हमलों के मामले में फरवरी, 2013 में फांसी दी गई थी, जबकि मकबूल भट्ट को भारत विरोधी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के मामले में फरवरी, 1984 में फांसी दी गई थी। मकबूल भट्ट जेकेएलएफ का सह-संस्थापक था।

(Udaipur Kiran) /संजय

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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी

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