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राजस्थान हाईकोर्ट ने एक्सिडेंटल क्लेम 7.88 लाख से बढ़ाकर 68.51 लाख रुपए किया

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जोधपुर, 23 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान हाईकोर्ट ने एक फैसले में मोटर दुर्घटना के मामले में पीड़ित परिवार को मिलने वाला मुआवजा लगभग आठ गुना बढ़ा दिया है। जस्टिस रेखा बोराणा की कोर्ट ने मंगलवार को दिए अपने फैसले में मूल मुआवजा राशि 7,88,692 रुपये से बढ़ाकर 68,51,328 रुपये करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कहा कि मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने मृतक की मासिक आय 4914 रुपये मानने की गलती की, जबकि वो हर महीने 35,170 रुपये की किस्‍त चुकाता था।

यह मामला 9 जनवरी 2014 को बालेसर के शहीद भंवरसिंह चौराहे के पास हुई सडक़ दुर्घटना का है, जिसमें ढलाराम माली की मौत हो गई थी। ढलाराम अपनी मोटरसाइकिल पर बलेसर से अपने गांव कुई इंदा जा रहे थे, जब दोपहर करीब 1 बजे बोलेरो गाड़ी ने तेज रफ्तार और लापरवाही से पीछे से टक्कर मार दी। इस प्रकरण में मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल फर्स्ट जोधपुर ने 23 जुलाई 2018 को अपने फैसले में ढलाराम की मासिक आय 4,914 रुपये मानकर 7,88,692 रुपये मुआवजा निर्धारित किया था। इसे ढलाराम की पत्नी व अन्य आश्रितों ने फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि ट्रिब्यूनल ने ढलाराम को अकुशल मजदूर मानने की गलती की है। जबकि रिकॉर्ड पर पर्याप्त साक्ष्यों से स्पष्ट है कि मृतक कारोबार में संलग्न था।

खुद के पास थी माइन्स, क्रेन, ट्रैक्टर

धलाराम की विधवा इमरती देवी ने बताया कि उसका पति सक्रिय रूप से खनन कार्य में थे। उनके पास एक खदान थी और दूसरी सुशीला मीठालाल से लीज पर ली थी। इमरती देवी की ओर से अपने बयान की पुष्टि के लिए खुद की क्रेन का रजिस्ट्रेशन डॉक्यूमेंट, बैंक का लोन स्टेटमेंट और बैंक पासबुक भी प्रस्तुत की। इसमें क्रेन के लोन की किश्त के रूप में 35170 रुपये हर महीने चुकाने की पुष्टि हो रही थी। खुद की माइन्स होने की पुष्टि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहमति आदेश से हुई, जिसमें पता चला कि 2011 और 2014 में धलाराम को खनन कार्य करने की वैधानिक अनुमति दी गई थी। ढलाराम के बैंक रिकॉर्ड दर्शाता है कि ये भुगतान 21 दिसंबर 2013 तक, यानी एक्सीडेंट में उनकी मौत 9 जनवरी 2014 से एक महीने पहले तक किए गए थे।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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