Jharkhand

कुख्यात अपराधी रह चुका चंदन मिश्रा का भाई है धीरज

अपराधी

रामगढ़, 23 सितंबर (Udaipur Kiran News) । जिले के अलावा अन्य स्थानों पर बैंक और जेवर दुकान को लूटने वाला धीरज मिश्रा कोई छोटा खिलाड़ी नहीं है। पुलिस ने उसे पर 50 हजार रुपए का इनाम भी रखा है। धीरज मिश्रा बिहार राज्य के बक्सर जिला अंतर्गत सकरौल थाना के पांडेपुर गांव का रहने वाला है। लेकिन इससे बड़ी उसकी पहचान उसके फुफेरे भाई चंदन मिश्रा के साथ जुड़ी हुई है। पटना के पारस हॉस्पिटल में जिस चंदन मिश्रा की हत्या हुई थी, धीरज उसका फुफेरा भाई है। ऐसी कई वारदातें हैं जिसमें धीरज शामिल रहा है। अपराध जगत में चंदन का संरक्षण भी उसे मिलता रहा है। लेकिन उसके जाने के बाद धीरज के सिर से एक बड़ा साया उठ गया। धीरज मिश्रा ने औरंगाबाद, बक्सर, हजारीबाग, रांची जिले में लगभग 14 वारदातों को अंजाम दिया है। उन सभी मामलों में वह जेल भी जा चुका है।

डकैती के पैसे से हाई प्रोफाइल लाइफ जीता है धीरज

धीरज मिश्रा डकैती के पैसे से हाई प्रोफाइल लाइफ जीता है। वह बड़े ब्रांड का कपडा पह‍नता है। यहां तक कि जूते, घड़ी, चश्मा, टोपी भी हजारों रुपए का होता था। जिस जगह वह किराए पर रूम लेने जाता था वहां उम्मीद से ज्यादा पैसे मकान मालिक को थमाता था। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता था की लालच में कोई भी उसके बारे में बात नहीं करता था। बड़े आराम से हाई प्रोफाइल लाइफ जीने वाला धीरज कुमार मिश्रा अपने गैंग को सही तरीके से चलता था। कैसे गैंग का एक-एक सदस्य घटना को अंजाम देने आएगा और कैसे पुलिस की नजर से बचकर निकल जाएगा, सारा प्लान उसके दिमाग में रहता था।

जहां हो करोड़ का फायदा, वहीं डालता था डाका

धीरज मिश्रा, रूपेश विश्वकर्मा, राहुल यादव, सौरभ राम के अलावा और कई सदस्य इस गिरोह में शामिल थे। वे लोग कभी भी छोटे-मोटे लूट और डकैती की वारदातों में शामिल नहीं होते थे। वे लोग वहीं जाते थे जहां उन्हें करोड़ों का फायदा होने के शत प्रतिशत चांस होते थे। रामगढ़ के जेसी ज्वेलर्स में भी उन्हें पता था कि लगभग चार करोड रुपए का सोना मौजूद है। लेकिन दुकान के मालिक ने जान हथेली पर रखकर डकैतों के साथ हाथापाई शुरू कर दी। उसके विरोध के कारण न सिर्फ उसका करोड़ों का सोना बच गया, बल्कि अपराधी वहां से खुद डर कर भाग गए।

धीरज मिश्रा ने सोने के होलसेल विक्रेता जेसी ज्वेलर्स में डाका डालने से पहले बड़ी चतुराई दिखाई थी। उसने उन दुकानों में से एक सोनार को अपने साथ शामिल किया जो रांची में जेवर बेचता था। रांची के सोनार से जेसी ज्वेलर्स का लेनदेन चलता रहता था। इस सोनार ने धीरज मिश्रा और उसकी पूरी टीम को रामगढ़ का ना सिर्फ पता बताया, बल्कि उस ठिकाने को भी दिखाया, जहां करोड़ों रुपए का सोना और चांदी मौजूद रहता था।

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(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश

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