
जयपुर, 23 सितंबर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान हाईकोर्ट में मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के खिलाफ नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर दायर याचिका पर बहस पूरी हो गई। है। अदालत ने मामले में बाद में फैसला देना तय किया है। जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश याचिकाकर्ता अधिवक्ता पूरणचन्द्र सेन की याचिका पर दिया।
याचिका में नागरिकता अधिनियम में संशोधन से देश की एकता व अखंडता को खतरे में डालने और धर्म के आधार पर भेदभाव का आरोप लगाया गया है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एएसजी आरडी रस्तोगी ने पक्ष रखा। जबकि राज्य सरकार की ओर से एजी राजेन्द्र प्रसाद ने पैरवी की। केन्द्र सरकार की ओर से एएसजी रस्तोगी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून किसी भी धर्म का विरोधी नहीं है। वहीं देश में बनने वाला कोई भी कानून गृह मंत्री, कानून मंत्री या प्रधानमंत्री नहीं बनाते हैं। कानून संसद की ओर से बनाया जाता है। ऐसे में पीएम मोदी और दोनों मंत्रियों पर आरोप लगाना गलत है। इसके अलावा याचिकाकर्ता स्वयं संसद में मौजूद नहीं था तो मिलीभगत का आरोप कैसे लगा सकता है। वहीं नागरिकता अधिनियम में संशोधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है। याचिकाकर्ता ने कानून का दुरुपयोग किया है। ऐसे में उसकी याचिका को भारी हर्जाने के साथ खारिज किया जाना चाहिए।
दूसरी ओर महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जो मुद्दा उठाया है, वह संबंधित निचली अदालत के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है। इसलिए निचली अदालत ने परिवाद को खारिज कर कोई गलती नहीं की है। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिका पर फैसला बाद में देना तय किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम—2019 भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्षता और अनुच्छेद—15 के विपरीत है। इस संशोधन के कारण मुस्लिमों के साथ भेदभाव हुआ है। देशभर में अराजकता का माहौल उत्पन्न हुआ है और देश की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचा है। संशोधन के बाद देशभर में अनेक स्थानों पर सांप्रदायिक घटनाएं हुई, लेकिन पुलिस ने या तो एफआईआर दर्ज नहीं की या फिर आधी—अधूरी की है। इसके अलावा निचली अदालत ने भी मामले में दायर परिवाद को खारिज कर कानून की त्रुटि की है।
—————
(Udaipur Kiran)
