चंडीगढ़, 23 सितंबर (Udaipur Kiran News) । हरियाणा सरकार अब परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) को सिर्फ पहचान या आधार लिंकिंग तक सीमित नहीं रखना चाहती। दूसरी पारी में इस योजना का चेहरा बदलने वाला है। सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे पीपीपी को भूमि स्वामित्व रिकॉर्ड, आयकर रिटर्न (आईटीआर), बैंक अकाउंट और टीडीएस डेटा से जोड़ने की तैयारी कर रही है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हीं तक पहुंचे जिन्हें वास्तव में इसकी जरूरत है।
पीपीपी कार्यक्रम के स्टेट कोऑर्डिनेटर सतीश खोला ने मंगलवार को बताया कि भूमि अभिलेखों और सीबीडीटी डेटा को पीपीपी से जोड़ना कल्याणकारी योजनाओं की पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। एआई से डेटा का विश्लेषण होगा, जिससे पात्रता का अधिक सटीक आकलन किया जा सकेगा। खोला के मुताबिक, योजना की उच्चस्तरीय समीक्षा हो चुकी है और जल्द ही इसे लागू किया जाएगा।
हरियाणा में अब तक 76 लाख से ज्यादा परिवार पहचान पत्र बनाए जा चुके हैं। इनमें से 40 लाख से अधिक परिवार बीपीएल श्रेणी में दर्ज हैं। अभी तक पीपीपी केवल आधार और लाभार्थी परिवार के एक बैंक अकाउंट से जुड़ा हुआ है लेकिन अब इसका दायरा काफी व्यापक होने जा रहा है। राज्य सरकार ने भूमि अभिलेखों को लिंक करने का काम पहले ही शुरू कर दिया है। अगले चरण में इसे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के डाटा से भी जोड़ दिया जाएगा। यानी किसी भी परिवार की आय, बैंकिंग ट्रांजेक्शन और टैक्स रिटर्न एक क्लिक में ट्रैक हो सकेंगे।
हरियाणा सरकार का यह कदम कल्याणकारी योजनाओं की डिलीवरी को स्मार्ट और पारदर्शी बनाने की दिशा में क्रांतिकारी साबित हो सकता है। अब यह केवल पहचान का दस्तावेज नहीं रहेगा, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्थिति का पूरा डिजिटल खाका होगा। सरकार की उम्मीद है कि पीपीपी और एआई का यह मेल हरियाणा की ‘लाभार्थी राजनीति’ को नई दिशा देगा और असली हकदारों तक योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित करेगा।—————
(Udaipur Kiran) शर्मा
